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उप्र : फर्जी मुठभेड़ों को लेकर सपा का सदन से बर्हिगमन

उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था और पुलिस द्वारा की जा रही फर्जी मुठभेड़ों को लेकर मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने मंगलवार को विधानसभा में सरकार को कटघरे में खड़ा किया

उप्र : फर्जी मुठभेड़ों को लेकर सपा का सदन से बर्हिगमन
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था और पुलिस द्वारा की जा रही फर्जी मुठभेड़ों को लेकर मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने मंगलवार को विधानसभा में सरकार को कटघरे में खड़ा किया। सपा ने दोषी पुलिकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई न किए जाने पर सरकार से सवाल-जबाव किया और सरकार के जवाब से संतुष्ट न होने पर सदन से बर्हिगमन किया। प्रश्नकाल में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सदस्य श्याम सुंदर शर्मा ने सरकार से जानना चाहा कि एक जुलाई, 2017 से 30 सितंबर, 2018 के बीच प्रदेश में कितनी फर्जी मुठभेड़, पुलिसकर्मी द्वारा हत्या या हत्या के प्रयास की कुल कितनी घटनाएं हुई हैं? उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या सरकार इन घटनाओं में शामिल दोषी पुलिसकर्मियों पर कोई कार्रवाई करेगी?

सरकार की ओर से जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि प्रदेश में इस अवधि में राजधानी लखनऊ में पुलिसकर्मियों द्वारा हत्या किए जाने के संबंध में एक मुकदमा दर्ज हुआ है। इस घटना में लिप्त दो पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा गया है। दोनों दोषी पुलिसकर्मियों को निलंबित किए जाने के बाद भी सरकार नहीं रुकी, बल्कि सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया है।

इस पर शर्मा ने संसदीय कार्य मंत्री पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया। फर्जी मुठभेड़ में निर्दोष लोगों को मारे जाने के मुद्दे पर सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने कहा कि सरकार के लिखित और मौखिक जवाब में अंतर है। उन्होंने शामली और आजमगढ़ में एनकाउंटर की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि यह सरकार पूरी तरह से निरंकुश हो चुकी है।

उन्होंने कहा कि सरकार जनता को पूरी तरह से परेशान किए हुई है। इस तरह की घटनाओं में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा देना चाहिए। इसके बाद सपा के सभी सदस्य सदन से बाहर चले गए।

इससे पहले, सपा के मनोज कुमार पांडेय तथा बसपा के श्याम सुंदर शर्मा ने प्रदेश में छुट्टा जानवरों से किसानों की फसलों को हो रहे नुकसान का मुद्दा उठाया। नेता विरोधी दल राम गोविंद चौधरी ने भी इस मुद्दे पर दोनों सदस्यों का साथ दिया।

सरकार की ओर से जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने जवाब देते हुए कहा कि छुट्टा जानवरों से किसानों की फसलों को कोई नुकसान नहीं हो रहा है। सरकार की ओर से जानवरों से फसलों को होनेवाले नुकसान का मुआवजा दिए जाने का कोई प्रावधान नहीं है।

उन्होंने खाद्यान्न के उत्पादन के आंकड़े पेश करते हुए कहा कि आंकड़ों को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसानों को उनकी फसलों में कोई नुकसान नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि दिन-प्रतिदिन खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ा ही है।

सपा सदस्य मनोज पांडेय ने सरकार से अनुपूरक सवाल किया कि फसलों को बचाने के दौरान छुट्टा जानवरों के हमले से कितने किसानों की मौत हुई और कितने घायल हुए? इसी तरह का अनुपूरक सवाल नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने भी पूछा। उन्होंने पूछा कि छुट्टा जानवरों से किसानों को कितना नुकसान हो रहा है? साथ ही दैवीय आपदा में छुट्टा जानवरों की समस्या को शामिल करते हुए क्या सरकार किसानों को मुआवजा दिलाएगी? कैबिनेट मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि साढ़े चार लाख से ज्यादा गोवंशों को पशु आश्रय स्थलों में रखा गया है। कुछ को लोगों ने सरकारी सहायता पर ले लिया है।

प्रश्नकाल में सपा सदस्य मनोज कुमार पांडेय और बसपा सदस्य उमाशंकर सिंह ने सरकार से जानना चाहा कि प्रदेश में हुई अत्यधिक वर्षा से कुल कितने कच्चे मकान गिर गए हैं और उनमें से कितने लोगों को मुख्यमंत्री आवास योजना में शामिल किया गया है? क्या सरकार शेष पात्रों को आवास दिलाएगी?

सरकार की ओर से जवाब देते हुए ग्राम्य विकास मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ 'मोती सिंह' ने बताया कि राजस्व विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना के अनुसार, वर्ष 2019 में प्रदेश के 36 जनपदों में कुल 52676 कच्चे मकानों को क्षति पहुंची है। प्रातिकृक आपदा से प्रभावित परिवारों को मुख्यमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के अंतर्गत वर्ष 2018-19 में 7830 परिवारों को एवं वर्ष 2019-20 में 7205 परिवारों को कुल 15035 परिवारों को लाभान्वित कराया गया है।


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