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उप्र : भ्रष्टाचार के आरोपी आईएएस अधिकारी का ट्रांसफर करने का आग्रह 

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पशुपालन विभाग में तैनात एक आईएएस अधिकारी के खिलाफ लगे आय से अधिक संपत्ति के आरोपों की सतर्कता जांच किए

उप्र : भ्रष्टाचार के आरोपी आईएएस अधिकारी का ट्रांसफर करने का आग्रह 
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पशुपालन विभाग में तैनात एक आईएएस अधिकारी के खिलाफ लगे आय से अधिक संपत्ति के आरोपों की सतर्कता जांच किए जाने की रिपोर्ट सामने आने के लगभग एक सप्ताह बाद विभाग के प्रधान सचिव ने मुख्य सचिव से जांच पूरी होने तक आरोपी अधिकारी का ट्रांसफर (स्थानांतरण) करने के लिए कहा है। सरकार द्वारा जांच किए जाने की जानकारी सबसे पहले आईएएनएस ने दी थी। प्रधान सचिव को छह नवंबर को भेजे गए पत्र में पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव बी.एल. मीणा ने कहा, "आपको अवगत कराना चाहता हूं कि वर्तमान में पशुपालन विभाग के सचिव के तौर पर तैनात सत्येंद्र कुमार सिंह (एस.के.सिंह) के खिलाफ जांच चल रही है।"

उन्होंने कहा, "चूंकि पशुपालन विभाग के सभी काम मुख्यमंत्री के निर्देशन में होते हैं और बहुत महत्वपूर्ण और संवेदनशील होते हैं, इसलिए आपसे निवेदन है कि पशुपालन विभाग के सचिव के खिलाफ चल रही जांच पूरी होने तक उनका किसी अन्य विभाग में इसी पद पर ट्रांसफर कर दिया जाए।"

हालांकि मीणा से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कॉल या मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया।बताया था कि प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने आय से अधिक धन कमाने के आरोपी एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के खिलाफ सतर्कता जांच शुरू की है। अधिकारी पर इसके अलावा नोएडा, ग्रेटर नोएडा और लखनऊ समेत कई अन्य स्थानों पर बेनामी संपत्तियां भी हैं।

एक सूत्र के अनुसार, विशेष सचिव द्वारा एक अक्टूबर को जांच के आदेश देने के बाद एस.के. सिंह के खिलाफ जांच शुरू की गई। सूत्र के अनुसार, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के एक वकील द्वारा छह और 19 अगस्त को एस.के. सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के बाद जांच का आदेश दिया गया।

मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा प्राप्त शिकायतों को जांच के लिए प्रदेश के सतर्कता आयोग के पुलिस महानिरीक्षक (डीआईजी) के पास भेज दिया गया। आर.पी. सिंह द्वारा जारी आदेश में तय समय के अंदर जांच पूरी करने के लिए कहा गया है।

सूत्र ने कहा कि मामले की जांच सतर्कता विभाग में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की रैंक के अधिकारी द्वारा की जा रही है।

वकील ने अपनी शिकायत में कहा था कि एस.के. सिंह ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) में महानिदेशक के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान अपने परिवार के सदस्यों और अन्य के नाम पर भारी संख्या में बेनामी संपत्ति अर्जित की थी। वह बांदा, चंदौली और फरु खाबाद के जिला अधिकारी (डीएम) भी रह चुके हैं और मेरठ विकास प्राधिकरण और मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के वाइस-चेयरमैन भी रह चुके हैं।

सूत्र ने दर्ज शिकायत के हवाले से कहा, "एस.के. सिंह के पास कथित रूप से नोएडा में घरों और दुकानों, ग्रेटर नोएडा में व्यावसायिक प्लॉट्स, सोनभद्र में जमीन, लखनऊ, कानपुर, नोएडा, फतेहपुर, सोनभद्र और मिर्जापुर जिलों में बेनामी संपत्तियों के अलावा लखनऊ के पॉश गोमती नगर क्षेत्र में करोड़ों रुपयों की संपत्तियां हैं।"

वकील ने यह भी आरोप लगाया कि एस.के. सिंह ने कानपुर में अपनी संपत्तियों की देखभाल करने के लिए एक पत्रकार को भी नियुक्त कर दिया, वहीं लखनऊ में उनकी संपत्तियों की देखभाल शालिनी गुप्ता नाम की एक महिला करती थी। एनआरएचएम मामले में गवाह बने एस.के. सिंह कोर्ट की दंडात्मक कार्रवाई से बच गए।

शिकायत के अनुसार, आयकर प्रशासन ने 24 मई 2017 को छापेमारी कर एस.के. सिंह की कई संपत्तियों का पता लगाया था। सूत्र ने कहा कि शिकायतकर्ता ने एस.के. सिंह की संपत्तियों के दस्तावेजों और राज्य सरकार के साथ उनके लेन-देन वाले बैंक स्टेटमैंट्स भी साझा किए।

आईएएनएस द्वारा संपर्क करने पर सिंह ने हालांकि कहा कि उन्हें उनके खिलाफ किसी लंबित जांच की जानकारी नहीं है।

उन्होंने कहा, "मुझे तो यह सिर्फ आपसे पता चल रहा है। मैं अवैध हथियारों व अन्य समेत लगभग 400 मामलों में गवाह हूं। इनमें से कुछ मामलों में, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल ने देशद्रोह के आरोप में अभियोजन पक्ष पर भी प्रतिबंध लगा दिए थे।"

उन्होंने कहा, "इसलिए, कई अपराधी तो इन मामलों में ऐसे ही शामिल हैं। शायद इन मामलों में मेरी कार्रवाइयों से भड़क कर किसी ने मेरी शिकायत की है।"

प्रदेश सरकार के अधिकारियों के अनुसार, जीरो टॉलरेंस की नीति का कड़ाई से पालन करते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस साल तीन जुलाई को लगभग 400 भ्रष्ट अधिकारियों को कठोर दंड की चेतावनी दी थी और लगभग 200 कर्मियों को समय पूर्व सेवानिवृत्ति दे दी थी।


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