Top
Begin typing your search above and press return to search.

उप्र : आवारा मवेशी लोगों की सुरक्षा, फसलों के लिए खतरा

आगरा के कई जिलों में गाएं और बैलें आम जनता की सुरक्षा के बहुत बड़ा खतरा बन चुके हैं। बैलें जहां मनुष्यों पर हमला कर रहे हैं

उप्र : आवारा मवेशी लोगों की सुरक्षा, फसलों के लिए खतरा
X

मथुरा। आगरा के कई जिलों में गाएं और बैलें आम जनता की सुरक्षा के बहुत बड़ा खतरा बन चुके हैं। बैलें जहां मनुष्यों पर हमला कर रहे हैं, वहीं आवारा मवेशी खेतों में घुसकर फसलों को तबाह कर रहे हैं। गायों के काटने पर लगी रोक के बाद गौ रक्षकों के डर से किसान उन्हें भगा भी नहीं पा रहे हैं। इससे आम जनता के बीच आवारा मवेशियों को लेकर भय व्याप्त हो गया है।

शुक्रवार को फतेहाबाद मार्ग पर एक बैल से टकराने के बाद 22 वर्षीय मोटरसाइकिल सवार की मौत हो गई।

एतमादपुर और अन्य इलाकों में किसानों ने गायों और बैलों को स्कूलों और सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों की इमारतों में बंद कर दिया, क्योंकि ये आवारा पशु लगातार उनके खेतों में घुसकर उनकी फसल तबाह कर रहे थे।

इन सबसे ऊपर, पड़ोसी अलीगढ़ के इगलस शहर में एक दर्जन गाएं एक सूखी नहर में जिन्दा दफनाई गई पाई गई हैं, जिससे तनाव व्याप्त हो गया है।

गौरक्षक इस घटना पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।

मथुरा के फराह ब्लॉक के एक ग्रामवासी राम भरोसे ने शिकायत की, "हमारी मेहनत और संसाधन सब पर पानी फिर गया, क्योंकि हजारों गायों ने हमारे खेतों में घुसकर फसलों को तबाह कर दिया।"

पिछले हफ्तों में ऐसी आधा दर्जन घटनाएं हो चुकी हैं और निराश और आक्रोशित किसानों ने आवारा मवेशियों को सरकारी स्कूलों में बंद करना शुरू कर दिया है।

एक किसान अनेक सिंह का कहना है, "बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है, क्योंकि वहां जगह नहीं है और स्कूल परिसर गायों से भरा हुआ है।"

मवेशियों को इन परिसरों से निकालने के लिए भेजी गई पुलिस को स्थानीय लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ता है, जो योगी सरकार से तत्काल गौशालाएं खोलने की मांग कर रहे हैं।

एक ग्रामीण मजदूर सुभाष का कहना है, "गोवंश की संख्या अचानक कई गुणा हो गई है। ग्रामीणों के समूह हाथ में लाठियां लेकर गायों को भगाने के लिए पहरा देते हैं, नहीं तो, ये कुछ ही घंटों में फसलों को तबाह कर देंगी।"

आगरा, मथुरा और अलीगढ़ के जिला अधिकारियों ने इस समस्या के समाधान के लिए कई दौर की बैठकें की है। ग्राम पंचायतों को चारागाह की जमीन चिन्हित करने और गौशालाओं को मदद करने को कहा गया है।

एक किसान ने कहा, "इस अत्यधिक ठंड के मौसम में गांववालों को पूरी रात खेतों में गुजारनी पड़ रही है, ताकि मवेशियों को दूर रख सकें।"


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it