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पुलिस के सामने रेप की धमकी देने वाला महंत 11 दिन बाद गिरफ्तार

पुलिस की मौजूदगी में मुस्लिम महिलाओं को रेप की धमकी देने वाले महंत बजरंग मुनि दास को गिरफ्तार कर लिया गया है.

पुलिस के सामने रेप की धमकी देने वाला महंत 11 दिन बाद गिरफ्तार
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उत्तर प्रदेश के सीतापुर में महंत बजरंग मुनि ने एक धार्मिक जुलूस के दौरान 2 अप्रैल को मुस्लिम महिलाओं को खुलेआम रेप की धमकी दी थी. इसके बाद धमकी वाला वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हुआ था. 38 साल के बजरंग मुनि ने सीतापुर के खैराबाद में एक मस्जिद के बाहर भड़काऊ बयान दिए थे और वहां मौजूद लोगों ने उत्साह में धार्मिक नारे लगाए थे.

बजरंग मुनि ने लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए कहा था, "अगर कोई एक हिंदू लड़की छेड़ी तो मैं खुलेआम तुम्हारे घर से बहू-बेटियों को उठाकर बलात्कार करूंगा." वहां मौजूद भीड़ बजरंग मुनि के इस नफरती बयान पर "जयश्रीराम" के नारे लगाती है. हैरत की बात यह थी कि पुलिस भी मौके पर मौजूद थी, लेकिन वह उस समय महंत को चुप कराने की कोशिश नहीं करती और मूकदर्शक बनी रहती है.

बड़ी संगत उदासीन आश्रम के महंत बजरंग मुनि की गिरफ्तारी भड़काऊ बयान देने के 11 दिनों बाद हुई है. 2 अप्रैल को यह धमकी वाला वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस पर कड़ी टिप्पणी की थी. आयोग ने उनकी गिरफ्तारी की मांग करते हुए कहा था कि पुलिस इस तरह की टिप्पणियों के बीच मूकदर्शक नहीं हो सकती.

इसके बाद उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. बजरंग मुनि पर अभद्र भाषा, अपमानजनक बयान देने और यौन उत्पीड़न से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.

वीडियो वायरल होने के बाद बजरंग मुनि ने एक संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि वीडियो से छेड़छाड़ की गई है और इसका गलत मतलब निकाला गया है. बाद में 8 अप्रैल को बजरंग मुनि ने माफी मांगी थी, उन्होंने कहा था, "सभी माताओं और बहनों से मैं माफी मांगना चाहता हूं. अगर मेरे वायरल वीडियो ने उन्हें आहत किया है तो मुझे क्षमा कर दें… मैं सभी महिलाओं का सम्मान करता हूं."

बजरंग मुनि के वीडियो वायरल होने से पहले भी उनके द्वारा संगत की जमीन पर अवैध कब्जा का आरोप लगा था.

नफरती बयानबाजी का सिलसिला

इस बीच पिछले साल दिसंबर में दिल्ली में आयोजित धर्म संसद को लेकर दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में कहा कि इसमें मुसलमानों के खिलाफ कोई भड़काऊ बयान नहीं दिए गए थे. दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा कि आयोजन में मुसलमानों के खिलाफ कोई उकसावे वाली बात नहीं कही गई थी.

पुलिस ने अपने हलफनामे कहा है कि उसने वीडियो और अन्य सामग्री की गहन जांच में पाया कि किसी भी समुदाय के खिलाफ कोई अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया है. इसलिए, कथित वीडियो क्लिप की जांच और मूल्यांकन के बाद यह निष्कर्ष निकला कि कथित भाषण में किसी विशेष समुदाय के खिलाफ कोई अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं हुआ.

वहीं पिछले साल दिसंबर में हरिद्वार धर्म संसद में कथित भड़काऊ बयानबाजी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को निर्देश दिया कि वह इस मामले की जांच को लेकर स्टेटस रिपोर्ट अगले सप्ताह कोर्ट में पेश करें.


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