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यूपी: कासगंज पर दिखा महागठबंधन

आगामी लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस का महागठबंधन होगा या नहीं ये तो अभी भविष्य के गर्भ में छिपा है,

यूपी: कासगंज पर दिखा महागठबंधन
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लखनऊ। आगामी लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस का महागठबंधन होगा या नहीं ये तो अभी भविष्य के गर्भ में छिपा है, लेकिन कांसगंज सांप्रदायिक हिंसा पर विधानसभा में तीनों दलों की एकता देखने को मिली, जो लोकसभा चुनाव में किसी महागठबंधन के संकेत भी देती है।

सपा की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि समाजवादी पार्टी के नेता एवं उप्रविधानसभा के नेता विरोधी दल राम गोविन्द चौधरी ने आज विधानसभा में नोटिस देकर दिंनाक 26.01.2018 को कासगंज में घटित घटना पर चर्चा कराये जाने की माँग की तथा घटना की जाँच हाईकोर्ट के किसी वर्तमान जज से कराने की माँग की है।

चौधरी ने सदन को अवगत कराया कि दिनांक 26 जनवरी, 2018 को सुबह लगभग 9:30 बजे बड्डूनगर, कासगंज स्थित अब्दुल हमीद तिराहा पर मुस्लिम समुदाय के लोग चौराहे पर कुर्सियाँ डालकर राष्ट्रीय कार्यक्रम ध्वजारोहण कर रहे थे तभी आरएसएस, विहिपएवं एबीवीपीके सैकड़ों लोग मोटर साइकिलों पर सवार होकर तिरंगा कम भगवा झण्डे ज्यादा लेकर आए और कुर्सियों हटवाने का प्रयास करते हुए ‘‘भारत में रहना है तो वन्देमातरम कहना है,’’।। ‘‘भारत में रहना है तो जै श्रीराम कहना है’’।। के नारे लगाते रहे। मुस्लिम समुदाय के लोगो ने जब आपत्ति की तो कुर्सियाँ उठाकर लोग फेंकने लगे जिससे विवाद उत्पन्न हुआ और फिर उसे सांम्प्रदायिक दंगे का रूप दे दिया गया, दुकानें फूंक दी गयी, मुस्लिम समुदाय के लोगों को दौड़ा -दौडाकर पीटा गया। इस घटना की सी0सी0 फुटेज, वीडियो की तीन सी0डी0 सदन में दिखाते हुए सबूत पेश करने का दावा किया और कहा कि इन्हें सदन में सबको दिखा दिया जाय दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा।

चौधरी ने मृतक अभिषेक उर्फ चंदन के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुये अधिक से अधिक सहायता दिये जाने का अनुरोध किया तथा मुस्लिम लोगों को, जिनकी दुकानें जलाई गयी है, उनकी भी प्राथमिकी दर्ज कर निष्पक्ष जाँच कराने और उन्हें आर्थिक सहायता दिये जाने की माँग की। निष्पक्ष जाच हेतु मामले की जाँच उच्च न्यायालय के जज से कराने का अनुरोध किया।

विज्ञप्ति केमुताबिक संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने सदन को बताया कि वहाँ धारा 144 लगी थी। मुस्लिम समुदाय ने ध्वाजारोहण की परमीशन नहीं ली थी और यह तिरंगा यात्रा एक पारंपरिक यात्रा थी, 30-40 साल से हो रही थी। पारम्परिक यात्राओं का न मार्ग बदलता है न परमीशन की जरूरत होती है। इसे केवल एक घटना मात्र बताकर सूचना को निरस्त करने का अनुरोध किया।

विधानसभाअध्यक्ष द्वारा सूचना निरस्त करने पर समाजवादी पार्टी के सदस्य सदन में धरने पर बैठकर मामले पर चर्चा कराने की माँगकरने लगे। सदन स्थगन के बाद संसदीय कार्यमंत्री ने मामले की न्यायिक जाँच न कराकर एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम) से कराने की बात कही जिसे समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी तथा कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने स्वीकार नहीं किया और मा0 उच्च न्यायालय के वर्तमान जज से मामले की जाँच कराये जाने की माँग की गयी। सरकार द्वारा इसे स्वीकार नहीं किया गया। समाजवादी पार्टी ने भाजपा द्वारा अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने निष्पक्ष कार्यवाही न करने का आरोप लगाया और तीनों दलों ने सदन का बहिष्कार किया।


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