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उप्र : विधायक जवाहर हत्याकांड में करवरिया बंधुओं को उम्रकैद

न्यायालय सूत्रों के अनुसार, चारों अभियुक्त को अपर जिला जज बद्री विशाल पांडे की अदालत ने सजा सुनाई

उप्र : विधायक जवाहर हत्याकांड में करवरिया बंधुओं को उम्रकैद
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प्रयाग। प्रयागराज के चर्चित विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड में सोमवार को इलाहाबाद की जिला अदालत ने पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया और उनके भाई पूर्व विधायक उदयभान करवरिया और सूरजभान करवरिया तथा रिश्तेदार रामचंद्र उर्फ कल्लू को उम्रकैद की सजा सुनाई।

न्यायालय सूत्रों के अनुसार, चारों अभियुक्त को अपर जिला जज बद्री विशाल पांडे की अदालत ने सजा सुनाई। अभियुक्तों को कड़ी सुरक्षा के बीच नैनी सेंट्रल जेल भेज दिया गया है। सजा सुनाए जाने के बाद करवरिया बंधु जब बाहर निकले तो उनके समर्थकों ने नारेबाजी की।

अदालत ने चारों पर अलग-अलग धाराओं में कुल 7़ 20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

अदालत ने पूर्व बसपा सांसद कपिल मुनि करवरिया, पूर्व भजपा विधायक उदय भान करवरिया और एमएलसी सूरज भान करवरिया तथा उनके रिश्तेदार रामचंद्र त्रिपाठी को हत्या, विधि विरुद्घ जमाव, सशस्त्र बल प्रयोग सहित तमाम धाराओं में 31 अक्टूबर को दोषी करार दिया था। अदालत ने सजा सुनाने के लिए चार नवंबर की तिथि तय की थी।

इस मामले की सुनवाई के बीच में ही राज्य सरकार ने करवरिया बंधुओं पर दर्ज मुकदमा वापस लेने की संस्तुति भी की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था।

सजा सुनाए जाने के बाद अदालत में बाहर निकले उदयभान करवरिया ने समर्थकों से कहा, "हौसला न खोना, मुझे भूल न जाना। मैं लौटकर फिर आऊंगा, शांति बनाए रखो। यह राजनैतिक सजा है, हाईकोर्ट से न्याय होगा।"

नैनी सेंट्रल जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक हरिबक्श सिंह ने कहा कि तीनों भाई उच्चशिक्षित हैं। इसलिए जेल प्रशासन ने आपस में बैठक कर यह निर्णय लिया है कि उन्हें अशिक्षित एवं अल्पशिक्षित कैदियों एवं बंदियों को शिक्षित करने में लगाया जाएगा। इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है।

जेल अधीक्षक ने कहा कि सजा मिलने के बाद कपिलमुनि समेत अन्य कैदियों की बैरक नहीं बदली जाएगी। सजायाफ्ता रजिस्टर में उनका नाम दर्ज कर जेल नियमों का पालन कराया जाएगा। शनिवार को रूटीन जांच के तहत कैदी को अस्पताल भेजा गया था।

ज्ञात हो कि 13 अगस्त, 1996 को पूर्व सपा विधायक जवाहर यादव उर्फ पंडित की सिविल लाइंस इलाके में गोली मारकर की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में करवरिया बंधुओं को नामजद किया गया था। पुलिस और सीबीसीआईडी द्वारा की गई लंबी जांच के बाद मुकदमे की विधिवत सुनवाई 2015 में शुरू हो सकी थी। इसके बाद अभियोजन और बचाव पक्ष ने अपने-अपने पक्ष को साबित करने के लिए साक्ष्यों और गवाहों को पेश किया। लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने करवरिया बंधुओं को हत्या का दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है।


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