पचास साल से ऊपर के लोगों को काम लायक क्यों नहीं समझती यूपी सरकार?
50 साल से ज्यादा उम्र वाले कर्मचारियों को रिटायर करने की तैयारी में है उत्तर प्रदेश सरकार.

यूपी राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्र ने डीडब्ल्यू को बताया, "सरकार कर्मचारियों का उत्पीड़न कर रही है और कुछ नहीं. अपने हिसाब से ये अधिकारी तय करेंगे कि किसे निकालना है किसे नहीं. जो कर्मचारी पचास साल के ऊपर का हो गया है, खतरनाक जगहों पर काम नहीं कर सकता है तो क्या उसे निकाल दिया जाएगा? सरकार कर्मचारियों को बड़े आंदोलन की ओर धकेल रही है. मुख्य सचिव खुद तो रिटायरमेंट के बाद एक साल के एक्सटेंशन पर हैं और दूसरे कर्मचारियों को पचास से ज्यादा की उम्र पर रिटायर करने का आदेश जारी कर रहे हैं. क्या उनके अलावा और कर्मचारी अपना काम करने में सक्षम नहीं हैं?”
अतुल मिश्र कहते हैं कि अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त करने का शासनादेश जारी करना सरकार की कुटिल नीति का परिचायक है और कर्मचारियों को परेशान करने और उनका शोषण करने का तरीका है. स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के विकल्प से तो कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान नहीं होता था लेकिन अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त करेंगे तो उस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाएंगे या फिर अक्षम बताएंगे जिससे कर्मचारियों को आर्थिक रूप से तो नुकसान उठाना ही पड़ेगा उन पर आरोप अलग लगेंगे.
किस आधार पर नौकरी से निकाला जायेगा
उत्तर प्रदेश में विभिन्न श्रेणियों में करीब 28 लाख सरकारी कर्मचारी हैं और ऐसे कर्मचारियों की संख्या काफी ज्यादा है जिनकी उम्र पचास साल से ज्यादा हो गई है. आईपीएस अधिकारी रहे अमिताभ ठाकुर कहते हैं कि किसी को भी अनिवार्य रूप से रिटायर करने का विधिक प्रावधान यह है कि यदि कोई व्यक्ति मानसिक रूप से अक्षम हो और काम करना ना तो उसके हित में हो और ना ही सरकार के हित में हो, ऐसी स्थिति में ही किसी को निकाला जा सकता है.
उनके मुताबिक, "इसके लिए ना तो कोई मापदंड है और न ही कोई अर्हता तय की गई है, सिर्फ जनहित में किसी को निकाला जा सकता है. भ्रष्टाचार का या अक्षमता का आरोप लगाकर अपनी नापसंद वाले लोगों को बाहर करने का एक तरीका भर है और नौकरशाही को हावी कर रहे हैं. यही नहीं, यह तो भ्रष्टाचार का नया जरिया भी बनेगा. सूची में शामिल करने और न करने के नाम पर लूट-खसोट होगी. कुल मिलाकर, मनमाने ढंग से उन लोगों को लोगों को निकालने का उपक्रम हो रहा है जो उनकी पसंद नहीं हैं.”
अमिताभ ठाकुर कहते हैं कि सरकार को यह पता है कि इसके खिलाफ कर्मचारी न सिर्फ आंदोलन करेंगे बल्कि कोर्ट में जाएंगे, फिर भी वह ऐसा आदेश जारी करके लोगों को परेशान करना चाह रही है. वो कहते हैं, "तमाम मामलों में कोर्ट में चैलेंज हो चुका है, यह भी होगा. मैंने भी अपने वीआरएस को चुनौती दी है. लेकिन ये मनमानी कर रहे हैं. ये मनमाना तरीका अपना रहे हैं. जिसको चाहेंगे उसे हटा देंगे.”
इससे पहले पुलिस विभाग में ऐसे कर्मचारियों की स्क्रीनिंग करने को कहा गया था जिनकी उम्र पचास साल के ऊपर है. स्क्रीनिंग की अवधि कई बार बढ़ाई गई लेकिन अब तक इसकी फाइनल रिपोर्ट नहीं पेश की गई है.


