यूपी : सरकारी वकीलों, संघ व भाजपा में तकरार की आशंका
उच्च न्यायालय में उत्तर प्रदेश सरकार के मुकदमों की पैरवी के लिए 234 राज्य विधि अधिकारियों की पुनरीक्षित सूची मंगलवार को जारी कर दी गई है

लखनऊ। उच्च न्यायालय में उत्तर प्रदेश सरकार के मुकदमों की पैरवी के लिए 234 राज्य विधि अधिकारियों की पुनरीक्षित सूची मंगलवार को जारी कर दी गई है। इस सूची में उन वकीलों ने भी जगह बनाई है जो सपा-बसपा शासन काल के दौरान सरकारी वकील बनाए जा चुके हैं। कई ऐसे वकीलों को फिर से सूची में जगह दे दी गई है जिन्हें गत 7 जुलाई को हटा दिया गया था। इस मामले पर भाजपा और संघ के बीच तकरार की आशंका बढ़ गई है।
दूसरी ओर भाजपा और संघ की विचारधारा से संबध रखने वाले दर्जनों सरकारी वकीलों को पुनरीक्षण के नाम पर हटा देने या उन्हें निचले पदों पर खिसका देने पर ऐसे वकीलों में काफी गुस्सा है।
नई सूची में 32 मुख्य स्थायी अधिवक्ता, 59 स्टैंडिग कौसिल, 99 वाद धारक सिविल मामलों व 42 वाद धारक क्रिमिनल मामलों के लिए नियुक्त किये गये हैं।
मुख्य स्थायी अधिवक्ता के 32 पदों पर पचास फीसद सपा या बसपा शासन काल में रहे वकीलों को जगह दी गयी है। इनमें अभिनव एन त्रिपाठी, रणविजय सिंह, पंकज नाथ, देवेश चंद्र पाठक, विवेक शुक्ला, दीपशिखा, अजय अग्रवाल,अमिताभ कुमार राय, आलेाक शर्मा ,मंजीव शुक्ला,एच पी श्रीवास्तव, जगदीश प्रसाद मौर्या, हेमेंद्र कुमार भट्ट, शत्रुघन चैधरी , पंकज खरे, राहुल शुक्ला जैसे नाम शामिल हैं।
जानकार बताते हैं कि इन नामों पर भाजपा व संघ में घोर विरेाध था लेकिन महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह की अध्यक्षता मे गठित चार सदस्यीय कमेटी ने इन्हीं नामों को हरी झंडी दिखा दी है। वहीं स्टैंडिंग काउंसिल के पदों पर पहले की सरकारों में तैनात रहे अनिल कुमार चौबे, प्रत्यूष त्रिपाठी, अखिलेश कुमार श्रीवास्तव, आनंद कुमार सिंह, पारूल बाजपेयी, शोभित मोहन शुक्ला, मनु दीक्षित,मनीष मिश्रा, अनुपमा सिंह, आशुतोष सिंह, कमर हसन रिजवी, संजय सरीन, विनायक सक्सेना, विनय कुमार सिंह, प्रभुल्ल कुमार यादव, शरद द्विवेदी, पुष्कर बघेल, ज्ञानेंद्र कुमार श्रीवास्तव व अनिल कुमार सिंह विसेन को फिर स्थान दे दिया गया है।
इतना ही नहीं ब्रीफ होल्डर के पदों पर भी बड़ी संख्या में पिछली सरकार के ही सरकारी वकीलों को योगी सरकार ने जगह दे दी है।
दूसरी ओर मुख्य स्थायी अधिवक्ता प्रथम के पद पर पिछली 7 जुलाई को नियुक्त श्रीप्रकाश सिंह को संघ के विरोध के बावजूद हटा दिया गया है। श्रीप्रकाश अधिवक्ता परिषद के लखनऊ इकाई के अध्यक्ष रहे हैं। संघ के प्रिय कई सरकारी वकीलों को निचले पदों पर खिसका कर सपा व बसपा काल के वकीलों को वहां बिठा दिया गया है।
दरअसल सरकार ने गत 7 जुलाई को साढ़े तीन सौ सरकारी वकीलों को हटा दिया था। ये सपा शासन के दौरान तैनात किये गये थे। उसी दिन 201 सरकारी वकीलों की नयी सूची जारी कर दी थी। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से नयी सूची में दर्जों पुराने सरकारी वकीलों को वापस ले लिया गया था। इसके काफी विरोध के बाद सरकार ने सूची के रिव्यू का निर्णय लिया था। जिसके बावत एक पीआईएल में भी हाईकोर्ट ने 21 जुलाई केा आदेश दे दिया था।


