योग दिवस पर विशेष ब्रेक देकर धर्म के नाम पर राजनीति कर रही यूपी सरकार : आईएसएफ विधायक
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के दिन सरकारी दफ्तरों में विशेष ब्रेक दिए जाने वाले यूपी सरकार के फैसले पर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है

कोलकाता। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के दिन सरकारी दफ्तरों में विशेष ब्रेक दिए जाने वाले यूपी सरकार के फैसले पर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। देश भर के मुस्लिम समुदाय का एक तबका इसका विरोध कर रहा है। वह नमाज के लिए ब्रेक नहीं देने और योग के लिए ब्रेक देने के यूपी की योगी सरकार के फैसले को गलत बता रहा है और धर्म के आधार पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगा रहा है।
पश्चिम बंगाल विधान सभा में इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के विधायक नौशाद सिद्दीकी ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए यूपी सरकार पर धर्म के आधार पर राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "यूपी में मुख्यमंत्री योगी की सरकार सही नहीं चल रही है। वह धर्म के आधार पर राजनीति कर रहे हैं। अगर नमाज घर में या किसी के छत पर पढ़ा जाएगा, तो उसके लिए जुर्माना लग रहा है। कुर्बानी के लिए बहुत कुछ बोला गया है। अब योग दिवस पर छुट्टी दिया जा रहा है। भारत में अलग-अलग धर्म, जाति और संस्कृति देखने को मिलती है, जो भारत की खूबसूरती है। लेकिन सरकार इसे खत्म करना चाहती है। नमाज के लिए छुट्टी नहीं दिया जा रहा है, जबकि योग के लिए दिया जा रहा है, यह राज्य सरकार का दोहरा चरित्र है।"
कोलकाता स्थित नाखोदा मस्जिद के इमाम सफिक अहमद ने इसको लेकर कहा, "जिस तरह किसी भी सरकारी दफ्तर में नमाज के लिए अलग से छुट्टी की जरूरत नहीं है, जिस तरह जीवन में इंसान को अपने रोजमर्रा के काम को करने के लिए छुट्टी की जरूरत नहीं होती है। मुसलमानों के लिए नमाज पढ़ना उनकी जिंदगी का एक फर्ज है। ऐसे में मुसलमान किसी भी परिस्थिति में 5 मिनट का फर्ज नमाज अदा कर सकता है। इस चीज को लेकर कोई मुद्दा नहीं बनाना चाहिए।"
इमाम ने कहा, "जहां तक योग दिवस की बात है, तो लोगों की सेहत के लिए भारत और पूरी दुनिया में योग दिवस मनाया जाता है। लेकिन इसको धर्म की आड़ में नहीं करना चाहिए। अगर योग दिवस पर कोई छुट्टी की डिमांड करता है, तो इसमें कुछ गलत नहीं है। दूसरा भी डिमांड कर सकता है। इन चीजों को मुद्दा नहीं बनाना चाहिए और विवाद से बचना चाहिए।"


