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उप्र : प्रथम श्रेणी की नगर पालिका के लिए निर्धारित मानकों में हुआ संशोधन

शासनादेश में प्रथम श्रेणी नगर पालिका परिषदों के लिए निकाय की वार्षिक आमदनी 3 करोड़ से अधिक तथा निकाय की जनसंख्या 2 लाख से 3 लाख तक एवं निकाय की जनसंख्या का धनत्व प्रति वर्ग कि.मी. 6266 निर्धारित किया

उप्र : प्रथम श्रेणी की नगर पालिका के लिए निर्धारित मानकों में हुआ संशोधन
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लखनऊ। बदलते शहरी परिदृश्य, शहरी जनसंख्या में वृद्धि, निकायों पर बढ़ते दबाव आदि के परिप्रेक्ष्य में नागरिकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने प्रथम श्रेणी की नगर पालिका के लिए निर्धारित जनसंख्या के मानक में आंशिक संशोधन करते हुए सिरे से मानक निर्धारित किए हैं।

प्रमुख सचिव (नगर विकास) मनोज कुमार सिंह द्वारा विगत 3 अप्रैल को प्रदेश के समस्त मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों, समस्त अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद/नगर पंचायत एवं निदेशक नगरीय निकाय को भेजे गए शासनादेश में नगर पंचायत को नगर पालिका परिषद के रूप में उच्चीकृत करने, नगर पालिका परिषद के गठन, नगर पालिका परिषद का सीमा विस्तार किए जाने तथा नगर पालिका परिषदों के वर्गीकरण के लिए मानकों के निर्धारण के संबंध में भी निर्देश जारी किए गए हैं।

शासनादेश में प्रथम श्रेणी नगर पालिका परिषदों के लिए निकाय की वार्षिक आमदनी 3 करोड़ से अधिक तथा निकाय की जनसंख्या 2 लाख से 3 लाख तक एवं निकाय की जनसंख्या का धनत्व प्रति वर्ग किलोमीटर 6266 निर्धारित किया गया है। इसी प्रकार द्वितीय श्रेणी नगर पालिका परिषदों के लिए वार्षिक आय 1.75 करोड़ से अधिक एवं 03 करोड़ रुपये तक, निकाय की जनसंख्या 1.50 लाख से अधिक तथा 02 लाख तक एवं निकाय की जनसंख्या का धनत्व प्रति वर्ग किलोमीटर 6266 निर्धारित किया गया है।

इसके अलावा नगर पालिका परिषदों की तृतीय श्रेणी के तहत निकाय की वार्षिक आय 60 लाख से अधिक रुपये 1.75 करोड़ तक तथा निकाय की जनसंख्या 1 लाख से अधिक व 1.50 तक और निकाय की जनसंख्या का धनत्व प्रतिवर्ग किलोमीटर 6266 निर्धारित किया गया है। साथ ही 10 नवंबर, 2014 के शासनादेश को इस सीमा तक संशोधित किया गया है, लेकिन इस शासनादेश की शेष शर्तें यथावत रहेंगी।

प्रदेश में नगर निगमों की स्थापना या नगर पालिका परिषद से नगर निगम बनाए जाने के संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश न होने के ²ष्टिगत नए नगर निगमों की स्थापना, उच्चीकरण तथा सीमा विस्तार करने के संबंध में दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार अग्रेतर कार्यवाही की जाएगी। नवीन नगर निगमों के गठन के मापदंड के अंतर्गत प्रस्तावित क्षेत्र के 75 प्रतिशत या उससे अधिक व्यक्तियों का गैर कृषि कार्यों में नियोजित होना चाहिए।

इसके अलावा प्रस्तावित क्षेत्र में सड़क यातायात होने के साथ ही प्रस्तावित क्षेत्र में शहरीकरण के गुण जैसे-पुलिस थाना, व्यावसायिक केंद्र, विद्यालय एवं अन्य शिक्षा संस्थानों का स्तर, स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति/अस्पताल, विद्युत व्यवस्था व विभिन्न बैंकों की शाखाओं की मौजूदगी, डाकघर, सार्वजनिक शौचालय, परिवहन व्यवस्था आदि की स्थिति अच्छी होनी चाहिए। शर्तों एवं मापदंडों को प्रस्तावित नगर निगम के गठन के लिए पूर्ण किया जाता है तो इन बिंदुओं को सम्मिलित करते हुए निकाय के बोर्ड द्वारा पारित प्रस्ताव या मंडलायुक्त की संस्तुति सहित स्पष्ट प्रस्ताव शासन को उपलब्ध कराया जाएगा।

इसी प्रकार नगर पालिका परिषद से नगर निगम के रूप में उच्चीकरण तथा नगर निगम की सीमा विस्तार के लिए मापदंड निर्धारित किए गए हैं।

दिशा-निर्देश में कहा गया है कि शासनादेश में निर्धारित मापदंड पूरा किए जाने के बाद इन बिंदुओं पर स्पष्ट प्रस्ताव शासन को उपलब्ध कराया जाएगा। शासनादेश में प्रमुख सचिव ने यह भी निर्देश दिए हैं कि र्निधारित नए मापदंडों के अनुसार, समस्त औपचारिकताएं पूरी कराते हुए प्रस्ताव शासन के विचारार्थ उपलब्ध कराया जाए।


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