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उप्र : सीएए विरोधी प्रदर्शन में अबतक 15 मौतें, कानपुर, रामपुर में फिर हिंसा

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में आज एक बार फिर रामपुर और कानपुर में हिंसक प्रदर्शन हुआ

उप्र : सीएए विरोधी प्रदर्शन में अबतक 15 मौतें, कानपुर, रामपुर में फिर हिंसा
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रामपुर। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में आज एक बार फिर रामपुर और कानपुर में हिंसक प्रदर्शन हुआ। रामपुर में प्रदर्शनकारियों ने कई वाहनों को फूंक दिया। भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। इसी दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई है। हालांकि रामपुर जिला प्रशासन ने मौत की पुष्टि नहीं की है। प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी और फायरिंग की। वहीं, प्रदर्शनकारियों ने कई बाइकों में आग लगा दी। जवाब में पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। इस दौरान एक युवक की मौत हो गई। दूसरी ओर, उलेमा ने प्रदर्शनकारियों को शांत कराने की कोशिश की।

इस बीच, उत्तर प्रदेश के आईजी (कानून-व्यवस्था) प्रवीण कुमार ने कहा कि सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान "10 दिसंबर से अब तक राज्य में 705 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। 4500 लोगों को गिरफ्तार करके छोड़ा गया है। अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है, और 263 लोग घायल हो चुके हैं।"

रामपुर शहर के विभिन्न क्षेत्रों से शनिवार को प्रदर्शनकारी निकले और हाथी खाना चौराहे पर जमा हो गए। हजारों की संख्या में एकत्रित लोगों की भीड़ हिंसक हो उठी। पुलिस की बाइक समेत चार वाहनों को जला दिया गया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पुलिस ने गोली चलाई, वहीं पुलिस अफसरों ने इससे इंकार किया है।

हालांकि पुलिस ने दावा किया है कि उनकी तरफ से किसी तरह की फायरिंग नहीं की गई है। इसलिए मौत के लिए उपद्रवी खुद जिम्मेदार हैं, न कि पुलिस।

पुलिस के अनुसार, उग्र प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया, जिसके बाद पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए लाठियां भांजी। काफी देर तक भीड़ और पुलिस के बीच झड़प चलती रही।

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में उलेमा ने शनिवार को रामपुर बंद का आह्वान किया था। प्रशासन ने हिंसा की आशंका भांपते हुए जिले की सभी सीमाएं सील कर दी थी, हालांकि इसके बावजूद पुलिस पर भीड़ भारी पड़ी।

कानपुर के यतीमखाना चौराहे पर जुटी हजारों की भीड़ अचानक उग्र हो गई। भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया तो जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। इसमें 12 से अधिक लोगों के घायल होने की जानकारी है। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने छतों से पुलिस पर पत्थर बरसाने शुरू कर दिए।

इस बीच, समाजवादी पार्टी के विधायक अमिताभ बाजपेई और हाजी इरफान सोलंकी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। स्थिति अभी भी तनावपूर्ण है।

इससे पहले शहर काजी मौलाना रियाज हस्मती ने बाबूपुरवा और मुंशीपुरवा मस्जिद में लोगों से अमन-चौन कायम रखने की अपील की। इसके बाद मौके पर पहुंचे एसएसपी अनंत देव ने आश्वासन दिया कि "गिरफ्तार लोगों के साथ सख्ती बरती जाएगी, लेकिन हिरासत में लिए गए लोगों को छोड़ दिया जाएगा। किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है, पुलिस बेगुनाहों पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं करेगी।"

शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने बढ़ती हिंसा के बीच कहा कि "नागरिकता कानून और एनआरसी, दोनों अलग अलग चीजें हैं। एनआरसी अभी केवल असम में लागू की गई है, पूरे देश में नहीं। इसके अलावा हमें अभी यह भी नहीं पता कि उसके तहत क्या-क्या नियम हैं। कई राजनीतिक पार्टियां एनआरसी को लेकर लोगों को दिग्भ्रमित कर रहीं हैं।" उन्होंने मुस्लिम समुदाय से शांति बनाए रखने की अपील की।


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