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रोहिंग्या संकट का आकलन करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य बांग्लादेश और म्यांमार रवाना  

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्य रोहिंग्या संकट का आकलन करने के लिए बांग्लादेश और म्यांमार के लिए रवाना हो गए हैं

रोहिंग्या संकट का आकलन करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य बांग्लादेश और म्यांमार रवाना  
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संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्य रोहिंग्या संकट का आकलन करने के लिए बांग्लादेश और म्यांमार के लिए रवाना हो गए हैं। अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों की समिति बांग्लादेश के लिए उड़ान भरने से पहले शुक्रवार को कुवैत में ठहरी।

समिति के सदस्य बांग्लादेश के ढाका और कॉक्स बाजार के शरणार्थी शिविरों का दौरा करेंगे।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, इस सप्ताहांत में बांग्लादेश में रोहिंग्या शिविरों का दौरा करने के बाद सदस्य सोमवार को म्यांमार की राजधानी नेपीथा पहुंचेंगे।

वे अगस्त 2017 में शुरू हुई हिंसा से प्रभावित राखिने का भी दौरा करेंगें जहां से सर्वाधिक शरणार्थियोंको पलायन करना पड़ा।

मानवीय मामलों के समन्वयक कार्यालय के मुताबिक, एक अनुमान के अनुसार म्यांमार से बांग्लादेश पहुंची रोहिंग्या शरणार्थियों की आबादी 10 लाख से अधिक है।

रोहिंग्या द्वारा 25 अगस्त 2017 को राखिने में म्यांमार सरकारी बलों पर किए गए हमले के बाद से लगभग 670,000 शरणार्थी बांग्लादेश चले गए। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने शुक्रवार को संवाददाताओं को बताया कि जनवरी के बाद से लगभग 8,000 शरणार्थी बांग्लादेश पहुंचे हैं।

उन्होंने कहा, "बांग्लादेश सरकार और वहां के लोगों ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सहयोग से रोहिंग्या शरणार्थियों के प्रति असाधारण उदारता दिखाई है।"

डुजारिक ने कहा, "अब तक 470,000 लोगों को भोजन का वितरण किया जा चुका है। 5,000 से अधिक ट्यूबवेल और 47,00 शौचालय बनाए गए हैं और 90,000 से अधिक बच्चों को प्राथमिक स्कूली शिक्षा मुहैया कराई गई है।"

उन्होंने कहा कि मानवीय सहायता साझेदारों ने जमीनी स्तर पर पीड़ितों को यौन एवं लिंग आधारित हिंसा से बचाने और उनकी मदद के लिए सुरक्षा निगरानी मिशनों का संचालन किया है और आगामी चक्रवात और मॉनसून सीजन को देखते हुए तैयारियां शुरू कर दी हैं।

बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में हजारों की संख्या में रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं। इनमें से अधिकतर शरणार्थियों के पास म्यांमार की नागरिकता नहीं है।


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