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बेफिक्र दिल्ली पुलिस : अब केजरीवाल के मंत्री की निजी सचिव लुटीं

दिल्ली में आठ फरवरी को विधानसभा चुनाव होना है, इसलिए दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक गली-कूचों में जा-जाकर हवलदार सिपाहियों से लेकर अफसरों तक को सतर्क रहने की नसीहत देते घूम रहे हैं।

बेफिक्र दिल्ली पुलिस : अब केजरीवाल के मंत्री की निजी सचिव लुटीं
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नई दिल्ली | दिल्ली में आठ फरवरी को विधानसभा चुनाव होना है, इसलिए दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक गली-कूचों में जा-जाकर हवलदार सिपाहियों से लेकर अफसरों तक को सतर्क रहने की नसीहत देते घूम रहे हैं। मगर इस कवायद का नतीजा '0' है।

'0' इसलिए कि शनिवार सुबह के वक्त दिल्ली के एक मंत्री की निजी सचिव लुट गईं। यह घटना जिस इलाके में घटी, बीते साल उत्तरी जिले के उसी सिविल लाइंस थाना इलाके में लुटेरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भतीजी को भी लूट लिया था।

दिल्ली के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम की निजी सचिव सविता आनंद के साथ घटी घटना के 24 घंटे बीतने के बाद भी दिल्ली पुलिस मुख्यालय के ओर से कोई अधिकृत बयान जारी नहीं किया गया, जबकि दो-दो प्रवक्ताओं को यह जिम्मेदारी मिली हुई है। इस घटना पर अभी तक उत्तरी जिले की डीसीपी मोनिका भारद्वाज की तरफ से भी कोई अधिकृत बयान नहीं आया है।

जिला पुलिस अमूमन शराब की चार-छह बोतलों की बरामदगी, गली-कूचे में छोटी-मोटी वारदातों को अंजाम देने वालों की प्रेस रिलीज शाम ढले जारी करती रही है।

सूत्रों के मुताबिक, घटना शनिवार सुबह करीब नौ बजे की है। सविता आनंद सिविल लाइंस इलाके में आयोजित एक समारोह में हिस्सा लेने जा रही थीं। शाह ऑडिटोरियम के पास पहुंचते ही उनके पास से तेज रफ्तार मोटरसाइकिल से आए दो बदमाशों ने उनके पास मौजूद पर्स झपट लिया।

जहां दिल्ली के उप-राज्यपाल का घर-दफ्तर हो, जिस इलाके में आईपीएस मैस हो, जहां परिंदा भी पर न मार पाने का दावा पुलिस किया करती हो, उस वीवीआईपी सुरक्षा वाले इलाके में दिन-दहाड़े दिल्ली के ही मंत्री की निजी महिला सचिव के साथ लूटपाट की वारदात हो गई।

अचानक हुई घटना से स्तब्ध पीड़िता चंद लम्हों के लिए शून्य में चली गईं। पुलिस बुलाने को पास में मोबाइल भी नहीं बचा था, क्योंकि जो बैग बदमाश लूट ले गए, रुपये और मोबाइल उसी बैग में था। फिलहाल घटना की जांच के नाम पर अब दिल्ली के उत्तरी जिले की पुलिस सीसीटीवी फुटेज देख रही है कि शायद किस्मत साथ दे जाए और लुटेरे सीसीटीवी फुटेज में कैद दिखाई दे जाएं।

उल्लेखनीय है कि इसी उत्तरी जिले के सिविल लाइंस थाने में बीते वर्ष के अंत में स्कूटी सवार लुटेरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भतीजी दमयंती मोदी को लूट लिया था। मामला चूंकि प्रधानमंत्री की भतीजी के लुटने का था, सो जिला पुलिस उपायुक्त मोनिका भारद्वाज से लेकर पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक तक मामला खुलने तक बेचैन रहे। 24 घंटे के अंदर जैसे-तैसे हांफते हुए पुलिस ने वो मामला खोल दिया।

प्रधानमंत्री की भतीजी के साथ हुई लूटपाट का किस्सा मीडिया की सुर्खी बना ही हुआ था कि दो दिन बाद ही दिल्ली के एक जज साहिब को उनके घर के बाहर लूट लिया गया। लुटेरे मोबाइल लूट ले जाने में कामयाब रहे। पुलिस को लगा कि इस मामले को खोलने में अगर देर हुई तो पासा पलट सकता है। लिहाजा, दिन-रात जुटकर जज साहब का मोबाइल फोन भी बरामद कर लिया गया।

वहीं, रोहिणी जिले में लुटीं दिल्ली राज्य बाल अधिकार आयोग की सदस्य ज्योति दूहन राठी अपनी लूटी गई तीन लाख रुपये कीमत की चेन मिलने के इंतजार में महीनों से बैठी हैं। आज तक न सोने की चेन बरामद हुई, न ही रोहिणी जिला पुलिस लुटेरों को पकड़ पाई। शायद इसलिए कि ज्योति दूहन राठी का न तो कोई रिश्तेदार जज है, न ही वे प्रधानमंत्री की भतीजी हैं!

और तो और, ज्योति दूहन राठी के साथ लूटपाट से ज्यादा बुरा तो हुआ थाने में। जब वह थाने गईं तो मामले के जांच अधिकारी ने उनके साथ घटी झपटमारी-लूट की घटना की एफआईआर जबरिया खुद ही चोरी में दर्ज कर डाली। उस मास्टरमाइंड जांच अधिकारी (सहायक उप-निरीक्षक) का नाम था सखा राम।


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