Top
Begin typing your search above and press return to search.

समाज का मार्गदर्शन करने आगे आएं विश्वविद्यालय : टंडन

मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों से कहा है कि समाज का मार्गदर्शन करने के लिए आगे आएं

समाज का मार्गदर्शन करने आगे आएं विश्वविद्यालय : टंडन
X

भोपाल। मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों से कहा है कि समाज का मार्गदर्शन करने के लिए आगे आएं।

श्री टंडन आज राजभवन में चार विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा है कि व्यवस्था और वातावरण में स्वच्छता होना आवश्यक है। नई व्यवस्था निर्माण के लिए बुनियादी प्रयासों को प्राथमिकता दी जाए, तभी उत्तरोतर प्रभावी प्रगति होगी।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास के क्षेत्र में नवीन अनुसंधानों और पद्धतियों के व्यवहारिक लाभों से परिचित कराने का केन्द्र बनाया जाये। विश्वविद्यालय आत्म-निर्भरता का मॉडल प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि परिसर में व्यापक स्तर पर पौधा-रोपण किया जाए। रक्षित भूमि पर व्यवसायिक उपयोग वाले वृक्षों के पौधों का रोपण भविष्य की वित्तीय आवश्यकताओं के लिए निवेश होगा। आगे चलकर बड़ी राशि विश्वविद्यालय को प्राप्त होगी। इसी तरह, सोलर उर्जा के उपयोग से विद्युत व्यय में भी बचत होगी। जल संरक्षण के कार्य, जल संकट की वैश्विक समस्या के समाधान का मार्ग प्रशस्त करेंगे। इसी तरह, परिसर के कचरे से जैव खाद का निर्माण, पौधों के लिए खाद का काम करेगा। बिना व्यय के विश्वविद्यालय की भविष्य की जरूरतों की पूर्ति के लिये पर्याप्त धनराशि भी उपलब्ध हो जायेगी।

उन्होंने विश्वविद्यालयों को आगाह किया है कि नये शैक्षणिक वर्ष में समीक्षा का एकमात्र मापदंड, निर्णय और उनका पालन होगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों की समस्याओं और आवश्यकताओं का समाधान किया गया है। इस पर भी परिणाम नहीं मिलने के लिए कौन जिम्मेदार होगा, यह अभी से निश्चित कर लें। उन्होंने कहा कि अब यदि परीक्षा परिणाम में विलंब हो रहा है, तो संबंधित के विरूद्ध कार्रवाई कर परिणाम समय पर घोषित करवाना कुलपति का दायित्व होगा।

श्री टंडन ने कहा कि शैक्षणिक वातावरण के लिए कुलपतियों को पहल करनी होगी। उनकी प्रेरणा शिक्षकों और विद्यार्थियों को प्रभावित करेगी। उन्होंने कहा कि परिसर के साथ ही व्यवस्था का स्वच्छ होना अनिवार्य है। ऑडिट नहीं कराना, व्यय के औचित्य का प्रमाणीकरण नहीं कराना है। यह गम्भीर आर्थिक अपराध है। आर्थिक अपराधी का समाज में क्या स्थान होता है, यह सबको पता है। उन्होंने कहा कि कुलपति राष्ट्र की भावी पीढ़ी के संरक्षक हैं। यदि विश्वविद्यालय का शैक्षणिक वातावरण और पदाधिकारियों के संस्कार उत्कृष्ट नहीं होंगे, तो पूरा वातावरण प्रदूषित हो जायेगा, जो देश और समाज के लिए हानिकारक होगा।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा हरिरंजनराव, राज्यपाल के सचिव मनोहर दुबे तथा महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, महाराजा छत्रसाल बुन्देलखंड विश्वविद्यालय, पंडित एस.एन. शुक्ला विश्वविद्यालय और म.प्र. भोज मुक्त विश्वविद्यालयों के कुलपति मौजूद थे।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it