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विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता एवं स्वतंत्रता का आह्वान

ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के कुलपति सी. राजकुमार ने सबके हितों को पूरा करने की जिम्मेदारी महसूस करते हुए विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता और स्वतंत्रता का आह्वान किया है

विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता एवं स्वतंत्रता का आह्वान
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हेमबर्ग(जर्मनी)। ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के कुलपति सी. राजकुमार ने सबके हितों को पूरा करने की जिम्मेदारी महसूस करते हुए विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता और स्वतंत्रता का आह्वान किया है।

कुमार ने यह बात हेमबर्ग में हुए ग्लोबल यूनिवर्सिटी लीडर्स काउंसिल सम्मेलन-2019 में कही। यह आयोजन उन महत्वपूर्ण चुनौतियों को लेकर दुनियाभर के विश्वविद्यालयों की अगुवाई करनेवालों के बीच संवाद आरंभ करने के लिए किया गया था, जिनसे पूरे विश्व में राष्ट्रीय उच्च शिक्षा प्रणाली को जूझना पड़ रहा है, खासतौर से विश्वविद्यालयों और समाज के बीच संबंधों को लेकर ये चुनौतियां आम हैं।

कुमार ने कहा, "विश्वविद्यालयों को सर्वहित की साझा समझ के आधार पर अपनी संस्थानिक पहचान के संबंध में दोबारा विचार करने की जरूरत है।"

उन्होंने कहा, "यह आवश्यक है कि विश्वविद्यालय अपनी स्वायत्तता और स्वतंत्रता का दावा न सिर्फ पाठ्यचर्या और अध्यापन के आचार पर करें, बल्कि वे इसका दावा सबके फायदे को पूरा करने की दिशा में जिम्मेदारी के एक वृहत बोध के आधार पर भी करें।"

कुमार ने कहा, "सर्वहित की पहचान दुनियाभर के विश्वविद्यालयों का मकसद बन गया है।"

ग्लोबल लीडर्स काउंसिल में दुनिया के अग्रणी विश्वविद्यालयों के 45 अध्यक्ष, कुलपति और मुख्यअधिष्ठाता पहुंचे थे। कार्यक्रम का आयोजन जर्मन रेक्टर्स कान्फरेंस, कोरबर फाउंडेशन और युनिवर्सिटी ऑफ हेमबर्ग द्वारा 5-7 जून के बीच किया गया।

काउंसिल में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाला एकमात्र उच्च शिक्षा संस्थान ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने सम्मेलन में हिस्सा लिया। कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालयों को ज्ञान की खोज और अनुसंधान के माध्यम से अपना प्रसार करने की दिशा में काम करना चाहिए, जिससे लोगों के जीवन में सुधार होगा।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को अध्ययन-अध्यापन के रूप में शैक्षणिक कार्य में शामिल होना चाहिए, जिससे युवाओं को प्रबुद्ध वैश्विक नागरिक बनने की दिशा में समर्थ व सशक्त बनाया जा सकेगा।

कुमार ने आगे कहा "विश्वविद्यालयों को बौद्धिक ²ढ़ता और उद्देश्यपरक विश्लेषण व साक्ष्य आधारित अनुसंधान के जरिए सत्ता को सच बताने के अभियान में शामिल होना चाहिए। इससे सुविज्ञ नागरिक वर्ग का निर्माण करने और नीति निर्माण पर प्रभाव डालने में मदद मिलेगी।"


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