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संयुक्त राष्ट्र: नागरिक समाज का "गला घोंटा" जा रहा

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा है कि दुनिया भर में मानवाधिकार रक्षकों को चुप कराया जा रहा है.

संयुक्त राष्ट्र: नागरिक समाज का गला घोंटा जा रहा
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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने कहा है कि दुनिया के कई देशों में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और नागरिक समाज के सदस्यों को चुप कराया जा रहा है.

मानवाधिकार परिषद के सत्र को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने कहा कि हिंसक टकराव, जलवायु आपदाओं और विकास पथ पर मिली विफलताओं से जूझती दुनिया के लिए मानवाधिकारों के मुद्दे पर सहयोग अहम है, और मानवाधिकारों को राजनीति से ऊपर रखना होगा. उन्होंने कहा कि जो लोग समस्याओं और दबाव का सामना कर रहे हैं उनमें वे लोग भी शामिल हैं जो उनके कार्यालय की मदद करते हैं.

टर्क ने संयुक्त राष्ट्र सहायता समाज के महत्वपूर्ण सदस्यों के खिलाफ अलग-अलग देशों में हिंसक घटनाओं पर अपनी चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि विशेष रूप से वे संगठन और व्यक्ति जो संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का समर्थन करते हैं, जांच के दायरे में हैं.

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टर्क ने किसी देश का नाम नहीं लिया लेकिन कहा कि 47 सदस्यीय मानवाधिकार परिषद के कई सदस्य देश भी इस तरह की गतिविधियों में शामिल हैं. उन्होंने कहा "संयुक्त राष्ट्र के योगदानकर्ताओं के खिलाफ हमलों का सिविल स्पेस पर असाधारण प्रभाव हो सकता है."

हाल ही में माली ने सुरक्षा परिषद में अनुरोध किया कि देश में संयुक्त राष्ट्र शान्ति रक्षा मिशन को तत्काल वापिस बुला लिया जाए. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यूएन मिशन को माली से जाने में कितना वक्त लगेगा लेकिन वे अगर वहां से जाते हैं तो अल कायदा समर्थित इस्लामिक उग्रवादियों से लड़ने के लिए माली की सेना के पास वागनर के एक हजार सैनिकों के अलावा कोई मदद नहीं होगी. ये उग्रवादी देश में हजारों लोगों की जान ले चुके हैं और उत्तर व मध्य में बड़े हिस्से पर काबिज हैं.

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टर्क ने माली में अपने कार्यालय का कामकाज का जारी रखने का संकल्प जाहिर किया और कहा कि जब भी मानवाधिकार हनन के गंभीर मामलों को अंजाम दिया जाता है, तो यूएन कार्यालय द्वारा उनकी निगरानी की जाती है, तथ्यों को जुटाया जाता है और जानकारी प्रदान की जाती है.

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने भी ऐसी 13 रिपोर्टें जारी की हैं, जिनमें 77 देशों में मानवाधिकार रक्षकों के खिलाफ धमकाने और हिंसा के 700 से अधिक मामले सामने आए हैं.

पिछले साल ऐसी गतिविधियों में 42 देशों के शामिल होने की सूचना मिली थी. इस लिस्ट में रूस, चीन और बेलारूस भी शामिल थे, जबकि मानवाधिकार परिषद ने खुद बताया है कि ऐसे मामलों में 12 सदस्य देश शामिल हैं.

वोल्कर टर्क ने रूस से आग्रह किया है कि यूक्रेन पर मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त स्वतंत्र जांच आयोग के साथ सहयोग किया जाना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि मानवाधिकार की निगरानी करने वालों की रूस के नियंत्रण वाले यूक्रेनी इलाकों और रूस तक पहुंच की इजाजत दी जानी चाहिए. साथ ही, हिरासत में रखे गए आम लोगों, युद्धबंदियों, यूक्रेनी बच्चों और विकलांग लोगों तक भी जिन्हें इन इलाकों में लाया गया है.


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