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सयुंक्त किसान मोर्चा ने तमाम यूनियनों के साथ बैठक के लिए भेजे निमंत्रण, भारत बंद सफल बनाने का मांगा सहयोग

कृषि कानून के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को 108 दिन हो चुके हैं

सयुंक्त किसान मोर्चा ने तमाम यूनियनों के साथ बैठक के लिए भेजे निमंत्रण, भारत बंद सफल बनाने का मांगा सहयोग
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सिंघु बॉर्डर। कृषि कानून के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को 108 दिन हो चुके हैं। ऐसे में किसान कुंडली बॉर्डर पर आंदोलन को तेज करने के लिए अनेक ट्रेड यूनियन, ट्रांसपोर्ट यूनियन एवं अन्य जन अधिकार संगठनों के साथ एक कन्वेंशन आयोजित करेंगे। यह कन्वेंशन 17 मार्च को 12 बजे आयोजित होगा। सयुंक्त किसान मोर्चा ने अपने घटक संगठनों को भी निर्देश दिए हैं कि हर जिला मुख्यालय और उपखंड मुख्यालयों पर भी ऐसी मीटिंग आयोजित की जाए।

संयुक्त किसान मोर्चा ने संगठित और असंगठित क्षेत्रों में विभिन्न ट्रेड यूनियन, ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन, रिटेलर्स और हॉकर्स एसोसिएशन, रेलवे और सड़क परिवहन सेवा कर्मचारी संघ और अन्य प्रगतिशील जन संगठन को निमंत्रण भेजा है।

एसकेएम ने निमंत्रण में कहा है कि, " 3 केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ और सभी किसानों के लिए कानूनी समर्थन के रूप में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) हासिल करने के लिए एक संयुक्त समन्वित संघर्ष के लिए सैकड़ों किसान संगठन एक साथ आए हैं।"

"दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर संयुक्त किसान मोर्चा ऐतिहासिक संघर्ष का नेतृत्व कर रहा है। आगामी 26 मार्च को चार महीने हो जाएंगे। किसानों के अलावा, हमारे समाज के विभिन्न अन्य वर्ग भी मोदी सरकार की विभिन्न जन-विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। जिनमें बढ़ते हुए डीजल, पेट्रोल, गैस की कीमतों व निजीकरण के खिलाफ हैं।"

"चार महीने पूरे होने के उपलक्ष्य में, एसकेएम ने 26 मार्च को पूर्ण रूप से भारत बंद का आयोजन करने की योजना बनाई है। इस दिन को सफल बनाने के लिए हम आपका पूरा सहयोग और एकजुटता चाहते हैं। इसे बेहतर ढंग से नियोजित करने के लिए, हम 17 मार्च को दोपहर 12 बजे सिंधु बॉर्डर विरोध स्थल नजदीक एक बैठक आयोजित कर रहे हैं।"

"इस बैठक में भाग लेने के लिए आप सबको आमंत्रित करते हैं और 26 मार्च को बेहतर तरीके से भारत बंद की योजना बनाने में हम आपकी मदद चाहते हैं। आपसे अनुरोध है कि कृपया इस बैठक में भाग लें।"

हालांकि ये कहना अभी मुश्किल होगा कि आगामी 17 मार्च को होने वाली इस बैठक में कितने संगठन किसानों का साथ देंगे। लेकिन किसान जिस तरह से रणनीति बना रहे हैं इससे किसानों के इरादे साफ नजर आ रहे हैं।


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