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भाड़े के सैनिकों से फायदा उठाता संयुक्त अरब अमीरात

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), अफ्रीका और मध्य पूर्व में भाड़े के सैनिकों का ठिकाना है. अब यूएई फ्रांसीसी विदेशी सैन्य टुकड़ी का अपना संस्करण बनाना चाहता है

भाड़े के सैनिकों से फायदा उठाता संयुक्त अरब अमीरात
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संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), अफ्रीका और मध्य पूर्व में भाड़े के सैनिकों का ठिकाना है. अब यूएई फ्रांसीसी विदेशी सैन्य टुकड़ी का अपना संस्करण बनाना चाहता है.

नौकरी के एक विज्ञापन ने बहुत सारे लोगों में गहरी उत्सुकता जगा दी. संभवतः इसलिए क्योंकि ये किसी ऐक्शन फिल्म में भर्ती का विज्ञापन जैसा लग रहा था.

विज्ञापन के मुताबिक, जरूरत है "विदेशी सैन्य ऑपरेटर की" जो, 50 साल से कम उम्र का हो, सख्त अनुशासित, तंदुरुस्त, कम से कम पांच साल का सैन्य अनुभव और "अधिकतम तनाव की स्थितियों" में काम करने में सक्षम होना चाहिए. प्रारंभिक वेतन प्रति माह करीब 2000 डॉलर होगा लेकिन संयुक्त अरब अमीरात से यमन या सोमालिया में तैनाती होते ही पगार बढ़ा दी जाएगी.

फ्रांस में उद्योग जगत के एक प्रकाशन- इंटेलिजेंस ऑनलाइन को विज्ञापन का सबसे पहले पता चला था. उसका कहना है कि फ्रांसीसी विशेष विदेशी सैन्य बल (फॉरेन लेजियोन) के भूतपूर्व सैनिकों ने इस विज्ञापन को सर्कुलेट किया है. आगे की जांच से पता चला कि विज्ञापन अबु धाबी में स्थित एक सुरक्षा सलाह देने वाली कंपनी मनार मिलेट्री कंपनी, या एमएमसी की ओर से निकाला गया था. फ्रांसीसी विशेष विदेशी सैन्य बलों के एक पूर्व अधिकारी ये कंपनी चलाते हैं और वित्तीय रूप से अबु धाबी के एक समृद्ध, राजनीतिक रूप से प्रभावशाली परिवार से जुड़े हैं.

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विज्ञापन से जुड़ी हर चीज से संकेत मिलता है कि संयुक्त अरब अमीरात अगले साल के मध्य तक, 3000 से 4000 जवानों वाला अपना एक अभिजात विदेशी सैन्य बल स्थापित करना चाहता था.

एमएमसी से संपर्क करने वाले मीडिया संगठनों को सीधा जवाब नहीं मिल पाया है. कंपनी के प्रतिनिधियों ने कहा है कि विज्ञापन वास्तविक नहीं थे, प्रोजेक्ट रद्द हो गया था और और वो दरअसल भ्रामक सूचना थी. एमएमसी ने डीडब्ल्यू के सवालों पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

लेकिन जानकारों ने डीडब्ल्यू को बताया कि ये बहुत संभव है कि विदेशी जमीनों पर तैनाती के लिए एक अमीराती विशेष सेना का ऐसा प्रोजेक्ट- वास्तव में अस्तित्व में हो.

लंदन के किंग्स कॉलेज में स्कूल ऑफ सिक्योरिटी स्टडीज के सीनियर लेक्चरर आंद्रेयास क्रिग का कहना है कि इंटेलिजेंस ऑनलाइन के फ्रांसीसी सैन्य सेक्टर के साथ अच्छे संबंध हैं और इस लीक के जरिए वे बताना चाहते होंगे कि फ्रांस इस घटना से खुश नहीं. क्रिग के मुताबिक फ्रांसीसी इस बात से चिंतित होंगे कि यूएई में ऊंची पगार वाली नौकरियां उनके सिक्योरिटी स्टाफ को लुभा ले जाएंगी.

जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ फॉरेन सर्विस में प्रोफेसर और "द न्यू रूल्स ऑफ वॉर" किताब के लेखक सीन मैकफेट उनकी बात से सहमति जताते हुए कहते हैं, "यूएई के इतिहास को देखते हुए लगता है कि यह काम वो करेगा ही. यूएई में सैन्य शक्ति को आउटसोर्स करने की परंपरा है और वो 2011 से ये करता ही आ रहा है."

क्रिग कहते हैं, "निश्चित रूप से इन दिनों जब 'मर्सिनरीज' शब्द सुनने में आता है, तो मुझे आमतौर पर रूस से ज्यादा संयुक्त अरब अमीरात का ख्याल आता है. अमीरात, गरीब और विकासशील दुनिया में भाड़े के सैनिकों से जुड़ी गतिविधि का एक प्रमुख ठिकाना सा बन गया है."

यूएई भाड़े के सैनिकों का इस्तेमाल क्यों करता है?

सात अमीरातों से मिलकर संयुक्त अरब अमीरात बनता है. आबादी करीब 90 लाख है लेकिन उसमें से सिर्फ दस लाख लोग ही अमीराती हैं. संयुक्त अरब अमीरात की सेना में करीब 65 हजार सैन्यकर्मी हैं और इनमें से एक तिहाई या 40 प्रतिशत विदेशी हैं.

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इसी बीच यूएई नेतृत्व यमन और सोमाली तट जैसे इलाकों पर अपने सामरिक हितों को लेकर काफी आक्रामक रहा है. इसीलिए भाड़े के सैनिक, क्रिग के शब्दों में "दुर्घटनाएं टालने" या उनसे निपटने के लिए रखे जाते हैं.

मैकफेट इसे विस्तार से समझाते हुए कहते हैं कि, "भाड़े के सैनिक ऐसे बहुत संपन्न और रईस समाजों के प्रति आकर्षित होते हैं जो युद्ध में व्यस्त रहना तो चाहते हैं लेकिन बिना अपना खून बहाए."

विदेशियों को यूएई की सेना में लाने का दूसरा पहलू "कू-प्रूफिंग" यानी तख्ता-पलट से बचाव का है. आखिरकार अच्छा खासा वेतन पाने वाले मर्सिनरी किसी देश की सर्वसत्तावादी सरकार का तख्ता पलट क्यों करेंगे जहां उनका खुद का कोई हित नहीं जुड़ा हो? और फिर "संभावित इंकार" का विचार भी है जिसकी पेशकश भाड़े के सैनिक किसी गुप्त सैन्य ऑपरेशन के समय अपने नियोक्ता को करते हैं.

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इन्स्टीट्यूट ने अपनी 2023 की रिपोर्ट में बताया कि 2003 से "निजी सैन्य सुरक्षा कंपनियों" या पीएमएससी का इस्तेमाल विस्फोटक तौर पर होने लगा है. उसके मुताबिक "व्यापक किस्म के ग्राहकों के लिए आज पीएमसी दुनिया के कमोबेश प्रत्येक देश में ऑपरेट करते हैं."

यूएई में ये सिलसिला 2009 में शुरू हुआ था जब पूर्व अमेरिकी नेवी सील और ब्लैकवाटर पीएमएससी के संस्थापक एरिक प्रिंस, 800 सदस्यों वाली एक ब्रिगेड खड़ी करने अमीरात गए थे.

अंत में नियोक्ताओं के साथ प्रिंस की कुछ अनबन हो गई लेकिन संयुक्त अरब अमीरात और वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों के बीच मुनाफे के लिए सहयोग जारी रहा. 2019 में समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने पता लगाया कि यूएई अपने यहां साइबर युद्ध इकाइयां गठित करने के लिए भुगतान कर रहा है. 2022 में अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने एक रिपोर्ट में बताया कि यूएई किस तरह सहायता और निर्देश के लिए अमेरिका के पूर्व वरिष्ठ सैन्यकर्मियों को पैसे दे रहा था.

कुछ कम स्पष्ट उदाहरण भी हैं. बीबीसी की एक जांच रिपोर्ट के मुताबिक यमन में राजनीति से प्रेरित हत्याओं को अंजाम देने या ऐसा करने के लिए स्थानीय मर्सिनरियों को प्रशिक्षित करने के लिए यूएई ने अमेरिकी और इजरायली समेत तमाम जगहों से पूर्व सैनिकों को भाड़े पर रखा था. रूस के कुख्यात मर्सिनरी समूह- वागनर ग्रुप के केंद्रीय लॉजिस्टिक्स और वित्तीय ठिकाने के रूप मे भी यूएई का नाम आता है.

एक वैध लेजियोन (विदेशी सैन्यकर्मी)

नौकरी के विज्ञापन में जैसी अपेक्षा की गई है, एक अमीराती विदेशी लेजियोन उन तमाम चीजों से काफी अलग होगा जिनका जिक्र ऊपर किया गया है.

निजी सैन्य कॉन्ट्रैक्टर के रूप में काम कर चुके मैकफेट बताते हैं, "जब आप भाड़े पर सैनिक बुलाते हैं तो उसके साथ सिरदर्द भी कम नहीं. अधिकांश मर्सिनरी, सुरक्षा और जवाबदेही और छल के साथ काम करते हैं- जो कि हैरानी की बात नहीं. मर्सिनरी आग की तरह होते हैं- वे आपका घर जला सकते हैं या भाप का इंजन खींच सकते हैं. तो इसका एक हल ये है कि आप विदेशी व्यक्ति को भाड़े पर रखिए."

विदेशी पृष्ठभूमि वाले सैनिकों को अपेक्षाकृत लंबा कॉन्ट्रैक्ट दिया जाता है, वे राष्ट्रीय सेना का आधिकारिक हिस्सा होते हैं और स्थानीय नियमों-निर्देशों से बंधे होते हैं.

क्रिग ने डीडब्ल्यू को बताया कि एक विदेशी लेजियोन की व्यवस्था, "(यूएई के लिए) अतीत से बिल्कुल अलग और नई होती है क्योंकि वो अपनी भागीदारी वाली कुछ अन्य गतिविधियों की अपेक्षा ज्यादा संस्थागत, कम कामचलाऊ या अंशकालिक होता है. इससे उन्हें एक अर्ध-वैधानिक ढंग से लोगों की भर्ती करने की संभावना मिल जाती है."

वो कहते हैं, "यह एक बड़ा बदलाव भी ला सकता है. क्योंकि जब कभी कोई यूएई को मर्सिनरी गतिविधि के लिए बुलाएगा, जहां वे संभावित युद्धअपराध या उसमें मदद कर रहे हों, तो उसके लिए अब एक फ्रेंच फॉरेन लेजियोन (विदेशी जमीन पर तैनात किराए के फ्रांसीसी सैनिक) जैसे स्थापित मॉडल का इस्तेमाल किया जाएगा. वे पलटकर यही कहेंगे कि जब 'फ्रांसीसी कर रहे हैं तो हम क्यों नहीं कर सकते?'"


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