देहों के मिलन व मुक्त होने की कहानी 'एनकोर
'एनकोर' के साथ हम उन मंच यंत्रों का अध्ययन जारी रखते

भारत शर्मा
नई दिल्ली। 'एनकोर' के साथ हम उन मंच यंत्रों का अध्ययन जारी रखते हैं, जो कि अपने सौंदर्य बोध कौशल और वृत्तियों के परे, मंच पर देहों के मिलन की सामर्थ्य में वृद्धि करते हैं। 'एनकोर' असल में अलॉर्म के साथ शुरू होने वाली और ऐमॉर के साथ जारी रहने वाली त्रयी का समापन है।
थ्योदोरोस तेरजोपॉलस में निर्देशित नाटक 'एनकोर' देखना एक अलग तरह का अनुभव था। नाटक हालांकि ग्रीस भाषा में अंग्रेजी टाइटल के साथ था, पर नाटक में संवादों को काफी कम इस्तेमाल किया गया है। पूरा नाटक भाव भंगिमाओं, आवाजों और लाइट के माध्यम से दर्शाया गया है। थ्योदोरोस ने 1993 में थिएटर ओलंपिक की शुरुआत की थी और उसी समय से ही इसके अध्यक्ष हैं। नाटक में भावातिरेक, वंश, कामनाएं और शब्द एक रंगमंचीय देह में एक हो जाते हैं, जो ऐटिस थियेटर की डायनिसियाई परंपरा से उत्पन्न होती है। 'एनकोर' में देहों को निडरता के साथ ईरोस और थानाटोस मशीनों में जकड़ दिया जाता है। इन्हें मिलाने के अपने प्रयास में शाश्वत रूप में, देहें एक दूसरे को आपस में फंसाती हैं, भ्रमित करती हैं और एक दूसरे को निगल जाती हैं। इसका परिणाम एक नई दूसरी देह के उनके तत्वांतरण में होता है। नाटक का मंचन काफी रोचक था, हालांकि कहीं-कहीं ऊबाउपन है। आम तौर पर विदेशी नाटकों को दर्शक कम ही मिलते हैं, पर एनकोर इस मामले में अपवाद था।
'नतिर पुजा'
बंगाली-अंग्रेजी नाटक 'नतिर पुजा' एक डांसर के सम्बंध में है जो राजसी आदेशों को न मानकर भगवान की भक्ति में समर्पित होती है और उसे इसकी बहुत बडी कीमत चुकानी पड़ती है। डायरेक्टर सुतपा अवन प्रधान श्रीमती को नृत्यु, संगीत,आत्मज्ञान और कुर्बानी के एक प्रतीक के तौर पर प्रस्तुत करती हैं।
'यक्षगण बैलेट-पंचवटी'
बहुमुख में प्रस्तुत 'यक्षगण बैलेट- पंचवटी' कन्नड का नाटक है, जिसमें रामायण का एक अध्याय दिखाया गया है जिसमेँ रावण की बहन सुपर्नखा राम और लक्षमण को लुभाने का प्रयत्न करती है, लेकिन वह निष्फल रहती है। इस प्ले को विद्वान सुधीर राव और श्रीनिवास सस्थान ने निदेर्शित किया है। श्रीनिवास सस्थान एक यक्षगण गुरू, कोरियोग्राफर और यक्षगण बयलता अकादमी राज्य पुरस्कार विजेता भी हैं। वहीं 'हेपाहोर जूलुंगा' दर्शाता है कि कैसे भौतिकता की चाह हमारे मन की शांति और मानवीय जीवन को प्रभावित करता है।


