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यूनिसेफ ने अफगानिस्तान में कुपोषण और स्कूलों की कमी पर चिंता जताई

  संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने अफगानिस्तान में बच्चों की स्थिति, कुपोषण और स्कूलों की कमी पर चिंता जताई है।

यूनिसेफ ने अफगानिस्तान में कुपोषण और स्कूलों की कमी पर चिंता जताई
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काबुल। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने अफगानिस्तान में बच्चों की स्थिति, कुपोषण और स्कूलों की कमी पर चिंता जताई है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, देश में यूनिसेफ की प्रतिनिधि एडेल खोडर के हवाले से बताया, "हम अफगानिस्तान में बच्चों की शिक्षा को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि 35 लाख बच्चे जिन्हें स्कूल में होना चाहिए था, वे स्कूल में नहीं हैं।"

उन्होंने कहा कि स्कूल से बाहर 35 लाख बच्चों में 75 प्रतिशत लड़कियां हैं। उन्होंने कहा, "अगर लड़कियां स्कूल भी जाती हैं तो वह 12 से 15 साल की उम्र तक पहुंचने पर स्कूल छोड़ देती हैं।"

खोडर ने बच्चों को मिल रही शिक्षा की गुणवत्ता और स्तर पर भी चिंता व्यक्त की। अफगानिस्तान में 2001 में तालिबान शासन की समाप्ति के बाद से शिक्षा की स्थिति में सुधार हुआ है।

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार, तालिबान के शासन के दौरान केवल 10 लाख बच्चे ही स्कूल जा पाते थे। 2016 में 40 प्रतिशत लड़कियों सहित यह आंकड़ा बढ़कर 95 लाख से अधिक हो गए। ये बच्चे देशभर में 15,000 स्कूलों में पढ़ते हैं।

एडेल खोडर ने कहा कि अफगानिस्तान में बच्चों के लिए कुपोषण भी एक चुनौतीपूर्ण मुद्दा है।खोडर ने स्थिति को 'अति गंभीर कुपोषण' बताते हुए कहा कि अफगानिस्तान में 600,000 बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं।

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में गंभीर कुपोषण की दर 41 प्रतिशत है, इसका मतलब केवल यह नहीं कि बच्चे अपनी उम्र के मुकाबले छोटे हैं, बल्कि अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि जब वे वयस्क होंगे तो उनकी मानसिक और बौद्धिक क्षमता भी कम होगी।उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान विश्व में उन तीन देशों में आता है, जो अभी भी पोलियो से लड़ रहे हैं।

इस वर्ष देश में पोलियो के 10 मामले सामने आए। सुरक्षा कारणों से देश के हर हिस्से में जाना भी मुश्किल है।अफगानिस्तान में जारी संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन की अक्टूबर में आई एक रपट के मुताबिक, अफगानिस्तान में जारी संघर्ष में 2,480 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस वर्ष की प्रथम तीन तिमाहियों के दौरान 689 बच्चों की मौत हुई थी।


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