अमरकंटक में प्रवेश शुल्क के नाम पर पर्यटकों से बेजा वसूली
वैसे तो नर्मदा उदगम अमरकंटक की नगरी को तीर्थस्थली का दर्जा प्राप्त

छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश सरकार ने तय किया था नहीं वसूला जाएगा कोई टैक्स
पेण्ड्रा। वैसे तो नर्मदा उदगम अमरकंटक की नगरी को तीर्थस्थली का दर्जा प्राप्त है पर यहां आने वाले तीर्थयात्रियों से तीर्थयात्रा में आने का कर वसूली करने का कारनामा नगर परिषद अमरकंटक के द्वारा किया जा रहा है और अमरकंटक आने वाले हर मार्ग पर इस प्रकार खुलेआम बेरियर लगाकर वसूली का काम किया जा रहा है।
दरअसल अमरकंटक की बसाहट मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा पर है जहां करीब डेढ़ दशक पहले दोनों राज्यों की सरकारों ने संयुक्त निर्णय लेकर अमरकंटक को फ्रीजोन क्षेत्र घोषित किया था जिसके तहत छत्तीसगढ़ से अमरकंटक जाने वाले वाहनों से किसी प्रकार के शुल्क मध्यप्रदेश सरकार नहीं वसूल सकेगी पर अब अमरकंटक में इन दिनों चारों ओर से आने वाले वाहनों से शुल्क वसूली शुरू कर दिया गया है जिसमें बकायदा अमरकंटक नगर परिषद की रसीद भी काटी जा रही जिसमें बकायदा लिखा भी गया है कि यहां आने वाले तीर्थयात्रियों से कर की वसूली। यानि कि जो भी तीर्थयात्री अमरकंटक आना चाह रहे हों उनको यहां आने पर तीर्थयात्रा कर का भुगतान करना होगा। एकदेश एक कर की मंशा से हाल ही में जीएसटी व्यवस्था शुरू की गयी है पर धर्म पर्यटन और आस्था की नगरी अमरकंटक में तीर्थयात्रा कर किसी के गले नहीं उतर रहा। आने-जाने वाले वाहनों से तीर्थयात्रा कर के रूप में मोटी राशि वसूली जा रही है और सरकार है कि खुद को धर्मप्रिय होने का समय समय पर दावा दिखावा करती रही है। छत्तीसगढ़ के पेंड्रा गौरेला के रास्ते अमरकंटक जाने पर महज पांच किलोमीटर का क्षेत्र मध्यप्रदेश का पड़ता है जिसके बाद भी लोगों को तीर्थयात्रा टैक्स का भुगतान करना पड़ रहा है। स्थानीय प्रशासन ने इस तीर्थयात्रा टैक्स की वसूली के लिये अमरकंटक आने जाने वाले हर मार्ग में ये अस्थायी बेरियर भी लगाये है जहां आए दिन लोगों से विवाद भी हुआ करता है पर श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों के साथ हो रहे इस आर्थिक अत्याचार के खिलाफ अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। वहीं अमरकंटक विकास प्राधिकरण के गठन के बाद अमरकंटक और आसपास की सारी गतिविधियों के लिये प्राधिकरण की बैठक में प्रस्ताव पास होना अनिवार्य किया गया पर नगर पंचायत अमरकंटक ने नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय के पत्र के आधार पर मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 127(6) के शक्तियों का उपयोग करते हुये तीर्थयात्रा कर की वसूली शुरू की है और रोजाना अमरकंटक आने वाले सैकड़ों वाहनों से लाखें की वसूली की जा रही है।
अमरकंटक विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण के पदाधिकारियों को यह मामला सज्ञान में लेनी चाहिये। छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा बिलासपुर कलेक्टर की अध्यक्षता में अमरकंटक विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है। इस प्राधिकरण में शामिल अधिकारियों को भी अमरकंटक नगर परिषद के द्वारा तीर्थ यात्रियों से की जा रही उगाही को सज्ञान में लेकर छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश शासन का ध्यान इस ओर आकर्षित करनी चाहिये जिससे तीर्थ यात्रियों को इस उगाही से राहत मिल सके।
कर वसूली पर रोक लगाएं
ये मेरी जानकारी में आया है। इस प्रकार वसूली के कार्य पर तत्काल रोक लगायी जानी चाहिये। दोनों जगह भाजपा की सरकार है ऐसे तीर्थस्थानों पर कर वसूली सर्वथा अनुचित है। तीर्थयात्रियों की सुविधाओं के लिये प्रयास करना चाहिये। छग सरकार से मैने ज्वालेश्वर और सोनमुड़ा में तीर्थयात्रियों की सुविधाओं के लिये मांग किया है। पेण्ड्रारोड रेलवे स्टेशन में भी तीर्थ यात्रियों के लिये कोई सुविधा नहीं है सुविधाएं उपलब्ध करायी जानी चाहिये।
डॉ. श्रीमती रेणु जोगी, विधायक कोटा


