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बढ़ती जा रही हैं सुरंग में फंसे लोगों को लेकर अनिश्चितताएं

उत्तराखंड में निर्माणाधीन सुरंग में 41 लोगों को फंसे आठ दिन हो चुके हैं लेकिन उन्हें निकालने की कोशिशें अभी तक नाकाम रही हैं. बचाव अभियान और फंसे हुए लोगों के हालात को लेकर अनिश्चितताएं बढ़ती जा रही हैं.

बढ़ती जा रही हैं सुरंग में फंसे लोगों को लेकर अनिश्चितताएं
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सुरंग में फंसे हुए लोगों को बचाने के अभियान की निगरानी राजमार्ग मंत्रालय से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय भी कर रहा है, लेकिन अभी तक बचाव टीम को सफलता हाथ नहीं लगी है. पुरानी योजनाओं की असफलता के बाद अब नई योजनाओं पर काम किया जा रहा है.

श्रमिकों को निकालने के लिए पहले मलबे में सामने से छेद करने की योजना पर काम चल रहा था लेकिन वह ड्रिलिंग मशीन खराब हो गई. कुछ मीडिया रिपोर्टों में यह भी दवा किया जा रहा है कि सुरंग के ढहने का खतरा भी पैदा हो गया था.

तीन तरफ से ड्रिलिंग

अब सामने की जगह पहाड़ के ऊपर से छेद करने की नई योजना बनाई गई है. हालांकि मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इसके लिए जिस मशीन की जरूरत है वो अभी तक वहां पहुंची नहीं है. उम्मीद है कि मशीन मंगलवार तक पहुंच जाएगी और उसके बाद ड्रिलिंग शुरू हो सकेगी.

इसके अलावा सुरंग को मजबूत करने की कोशिश की जाएगी और उसके बाद सामने से ड्रिलिंग की फिर से कोशिश की जाएगी. इसके साथ ही एक और तरफ से ड्रिलिंग की भी योजना बनाई जा रही है.

केंद्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के साथ स्थिति का जायजा लेने के लिए रविवार को सुरंग के पास पहुंचे. गडकरी श्रमिकों के रिश्तेदारों से भी मिले. बाद में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि हालात चुनौतीपूर्ण हैं और बचाव में दो, तीन दिन और लग सकते हैं.

इस बीच फंसे हुए श्रमिकों तक एक पाइप के जरिए पानी और सूखा खाना लगातार पहुंचाया जा रहा है. चूंकि बचाव कार्य में और देर होने का अंदेशा है, अब उन लोगों तक पका हुआ खाना भेजने की भी कोशिश की जा रही है.

किस हाल में हैं श्रमिक

लेकिन इससे पहले बचाव कार्य में शामिल एक अधिकारी ने इससे ज्यादा लंबी अवधि की संभावना व्यक्त की. भास्कर खुल्बे ने शनिवार को कहा था कि श्रमिकों को निकालने में "अधिकतम चार से पांच दिन" लग सकते हैं.

खुल्बे ने साथ ही यह विश्वास भी दिलाया था कि "संसाधनों, विकल्पों और तरीकों" की "कोई कमी नहीं है." अधिकारियों की तरफ से फंसे हुए श्रमिकों की अवस्था के बारे बारे में बस यही बताया जा रहा है कि वो लोग ठीक हैं.

लेकिन उनके रिश्तेदारों का कहना है कि हालात गंभीर हैं और श्रमिकों का मनोबल अब टूट रहा है. एक रिश्तेदार ने पत्रकारों को बताया, "वो रो रहे हैं...उन्होंने हम लोगों से पूछना शुरू कर दिया है कि हम बचाव कार्य के बारे में उनसे झूठ तो नहीं कह रहे हैं."

सीके/एसबी(एएफपी, रॉयटर्स)


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