शासकीय भूमि पर बेजा कब्जा
प्रशासनिक अधिकारियों की आपसी सांठगांठ के चलते ग्राम तर्री में समूची सरकारी भूमि पर कब्जा करने का खेल चल रहा

नवापारा-राजिम। प्रशासनिक अधिकारियों की आपसी सांठगांठ के चलते ग्राम तर्री में समूची सरकारी भूमि पर कब्जा करने का खेल चल रहा है। यही कारण है कि पंचायत पदाधिकारियों द्वारा बार-बार मुख्यमंत्री, कलेक्टर सहित अन्य जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को शिकायत करने के बाद भी सरकारी भूमि पर कब्जा किया जाना लगातार जारी है।
ग्राम तर्री में बढ़े झाड़ के जंगल के रूप में लगभग 15 एकड़ शासकीय भूमि राजस्व अभिलेख में उल्लेखित है। उक्त भूमि पर ग्राम के कुछ स्थानीय और बाहरी लोगों द्वारा कब्जा करते कर भवन निर्माण किया जा रहा है। इससे पहले से ही शासकीय भूमि की कमी से परेशान ग्राम पंचायत के पास बची-खुची शासकीय भूमि भी खत्म होते जा रही है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत् भूमिहीन हितग्राहियों को आवास निर्माण हेतु दिया जाना है। इसके अलावा अन्य कई शासकीय निर्माण एवं विकास कार्य किए जाने हैं। ऐसे में पंचायत के सामने आगे कुंऑं, पीछे खाई की स्थिति है क्योंकि अगर पंचायत प्रधानमंत्री आवास सहित शासकीय निर्माण एवं विकास कार्यों की पूर्ति हेतु अवैध कब्जाधारियों को अपने बूते बेदखल करती है, तो प्रशासनिक अमला पंचायत पदाधिकारियों की खबर ले लेगा। वहीं दूसरी ओर उक्त कार्यों के लक्ष्य की अवैध कब्जों के चलते पूर्ति नहीं कर पाती है, तो भी प्रशासन उन पर सख्ती बरतेगा। यही कारण है कि पंचायत पदाधिकारी बार-बार मुख्यमंत्री व कलेक्टर से लेकर अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष गुहार लगा रहे हैं कि शासकीय भूमि को कब्जामुक्त कराएं, लेकिन अधिकारी शांत बैठे हैं। वर्ना क्या कारण है कि कब्जाधारियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और शासकीय भूमि लगातार कम होते जा रही है ? प्रशासनिक अधिकारी शासकीय भूमि को कब्जामुक्त करने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं ? यह अपने आप में बड़ा सवाल है।
कुछ महीने पूर्व तर्री सरपंच जिनेन्द्र वर्मा की लिखित शिकायत पर तत्कालीन नायब तहसीलदार द्वारा कुछ कब्जाधारियों को नोटिस जारी कर निर्माण पर स्थगन आदेश जारी किया गया था। लेकिन वर्तमान में उनमें से एक कब्जाधारी आशीष गुप्ता द्वारा नायब तहसीलदार के स्थगन आदेश की अवमानना करते हुए निर्माण को जारी कर दिया गया है। आखिर नायब तहसीलदार के स्थगन आदेश की अवमानना की हिम्मत उक्त व्यक्ति के पास कैसे आ गई ? यह विचारणीय प्रश्न है। वैसे किसी भी नगरीय निकाय या ग्रामीण क्षेत्र में मकान या दुकान विद्युत कनेक्षन हेतु नगरीय निकाय या फिर ग्राम पंचायत से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना होता है, उसके बिना विद्युत कनेक्षन नहीं दिया जाता। फिर बेजा कब्जा कर बनाये गए मकान में तो इसकी कल्पना ही नहीं की जा सकती, लेकिन तर्री में ऐसा हुआ है। ग्राम में कई लोगों ने वर्तमान में अवैध कब्जा कर कच्चा मकान बनाया है, जिसमें हैरतअंगेज तरीके से विद्युत कनेक्षन लगे हुए हैं।
सरपंच जिनेन्द्र वर्मा ने बताया कि पूर्व में ग्राम के कई लोग उक्त शासकीय भूमि पर कब्जा करने का प्रयास कर रहे थे, जिन्हें पंचायत द्वारा समझाया गया कि शासकीय योजनाओं हेतु भूमि की कमी को देखते हुए शेष बची भूमि पर अतिक्रमण न करें, जिस पर उस वक्त संबंधित ग्रामवासियों द्वारा कब्जा नहीं किया गया। लेकिन वर्तमान में जब दूसरे, वह भी बाहरी लोगों द्वारा कब्जा किया जा रहा है और लगातार निर्माण बढ़ाया जा रहा है, इसे देखकर वे ही ग्रामवासी अब पंचायत पदाधिकारियों पर लेन-देन कर वर्तमान कब्जाधारियों को कब्जा करवाने में सहयोग करने का आरोप लगा रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के चलते ऐसे ग्रामवासियों के इन आरोपों को बल भी मिल रहा है। पंचायत पदाधिकारी मानसिक रूप से बेहद आहत हो चुके हैं और अब कार्यवाही न होने की सूरत में उपतहसील घेराव की योजना बना रहे हैं। अगर नायब तहसीलदार द्वारा बेजा कब्जाधारियों को बेदखल नहीं किया जाता तो शासन-प्रशासन के विभिन्न स्तरों पर इस बात की अंतिम शिकायत करते हुए उपतहसील घेराव करने पर मजबूर होना पड़ेगा, जिसकी समस्त जवाबदारी प्रशासनिक अधिकारियों की रहेगी।


