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विश्वविद्यालयों में विचारों के उन्मुक्त आदान-प्रदान हो : प्रणव मुखर्जी​​​​​​​

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने विश्वविद्यालयों में विचारों के उन्मुक्त आदान-प्रदान पर बल देते हुए कहा है कि इससे शिक्षण संस्थानों का माहौल अच्छा बनेगा

विश्वविद्यालयों में विचारों के उन्मुक्त आदान-प्रदान हो : प्रणव मुखर्जी​​​​​​​
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हैदराबाद| राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने विश्वविद्यालयों में विचारों के उन्मुक्त आदान-प्रदान पर बल देते हुए कहा है कि इससे शिक्षण संस्थानों का माहौल अच्छा बनेगा।

श्री मुखर्जी ने आज यहां उस्मानिया विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह का उद्घाटन करते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि विश्वविद्यालयों का माहौल ऐसा होना चाहिये जहां विचारों के उन्मुक्त आदान-प्रदान पर किसी तरह का अंकुश न हो। छात्र और अध्यापक बिना किसी दबाव के अपनी बात कह सकें।

उन्होंने कहा कि वह भी पंडित नेहरू के इन विचारों का समर्थन करते हैं।
उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा तंत्र के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है और देश में सात सौ से भी अधिक उच्च शिक्षण संस्थान हैं लेकिन इसके बावजूद हमारे कई प्रतिभाशाली छात्रों को विदेशों का रुख करना पड़ता है।

इस चुनौती से निपटने के लिए देश में विश्व स्तरीय शिक्षा और शोध के अवसर मुहैया कराये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश के शीर्ष संस्थानों को पर्याप्त संसाधन जुटाने के साथ-साथ देश और विदेश की ऐसी प्रतिभाओं को अपने यहां बुलाना चाहिये जो वस्तुनिष्ठ और संदर्भपूर्ण शिक्षा तथा ज्ञान का प्रचार कर सकें।


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