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 संयुक्त राष्ट्र कर्मियों की सुरक्षा के बाद भी उन पर हमले बढ़े हैं: एंटोनियो गुटेरेस

 संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने गुरुवार को कहा कि वैश्विक निकाय द्वारा अपने कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयासों के बावजूद उन पर हमले बढ़े हैं

 संयुक्त राष्ट्र कर्मियों की सुरक्षा के बाद भी उन पर हमले बढ़े हैं: एंटोनियो गुटेरेस
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संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने गुरुवार को कहा कि वैश्विक निकाय द्वारा अपने कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयासों के बावजूद उन पर हमले बढ़े हैं। गुटेरस ने कहा कि साल 2017 के अंतिम छह महीनों में 42 देशों के 140 संयुक्त राष्ट्र कर्मियों की हत्या कर दी गई जिनमें 123 सेना के जवान, तीन पुलिस कर्मी और 14 नागरिक थे।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, उन्होंने कहा, "दस साल शरणार्थियों के उच्चायुक्त के रूप में मैंने इन आंकड़ों में वृद्धि देखी है।"

उन्होंने कहा, "मुझे याद है, शुरुआत में रेड क्रॉस, रेड क्रेसेंट और संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं का सम्मान विश्व के विभिन्न भागों में तबाही मचा चुके आतंकवादी संगठन तथा अन्य सैन्य संगठन भी करते थे।"

गुटेरेस ने कहा, "इसके बाद धीरे-धीरे, मैंने देखा कि कैसे इन संस्थाओं का सम्मान खोता गया और अंत में मैंने देखा कि हमारे कर्मियों को सिर्फ इसलिए निशाना बनाया जाने लगा क्योंकि वे हमारे संगठन के कर्मी हैं। चाहे वे शांति मिशन पर हों, मानवता का काम कर रहे हों, या विश्व समुदाय की भलाई के लिए कार्यरत हों।"

उन्होंने कहा, "संयुक्त राष्ट्र का नीला झंडा दुनिया भर के सबसे कमजोर समुदाय के लिए शांति, सुरक्षा और बेहतर भविष्य की उम्मीद है।"

वे लोग संयुक्त राष्ट्र में काम कर रहे अधिकारियों, अंतर्राष्ट्रीय नागरिक कर्मियों, राष्ट्रीय कर्मियों तथा संयुक्त राष्ट्र स्वयंसेवकों पर निर्भर हैं।

उन्होंने कहा, "ऐसे जरूरी काम करने वाले कर्मियों की हत्या पर मुझे बहुत दुख होता है। साथ ही मुझे इस बात पर गुस्सा आता है कि हमारे कर्मियों पर होने वाले हमलों की जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं है।"

गुटेरेस ने कहा, "अपने शांतिदूतों और अन्य कर्मियों के साहस और दृढ़ता के बिना हम अपने काम को पूरा नहीं कर सकते जो हम विश्व के कुछ सबसे खतरनाक स्थानों और माहौल में करते हैं।"

उन्होंने माना कि विश्व के सबसे खतरनाक इलाकों और खतरनाक मौकों पर अपने कर्मियों को भेजने का निर्णय लेना सबसे बड़ी दुविधा है।


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