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महिला आरक्षण बिल पर उमा भारती ने पीएम मोदी को लिखा पत्र

महिला आरक्षण विधेयक पर अपनी राय रखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्‍होंने मांग रखी है कि 33 प्रतिशत आरक्षित सीटों में से 50 प्रतिशत एसटी, एससी और ओबीसी महिलाओं के लिए अलग रखी जाएं।

महिला आरक्षण बिल पर उमा भारती ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
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भोपाल । महिला आरक्षण विधेयक पर अपनी राय रखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्‍होंने मांग रखी है कि 33 प्रतिशत आरक्षित सीटों में से 50 प्रतिशत एसटी, एससी और ओबीसी महिलाओं के लिए अलग रखी जाएं।

पीएम मोदी को लिखे अपने पत्र में भारती ने मांग की है कि 50 फीसदी सीटें एसटी, एससी और ओबीसी समुदायों के लिए अलग रखी जाएं। भारती ने विधेयक पारित करने के केंद्र के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि यह कदम देश की महिलाओं के लिए खुशी की बात है।

भारती ने याद दिलाया कि जब 1996 में तत्कालीन प्रधानमंत्री देवेगौड़ा ने महिला आरक्षण विधेयक सदन में पेश किया था, तब उन्होंने इस विधेयक में एक संशोधन पेश किया था।

उन्‍होंने कहा, ''मैं संसद सदस्य थी। मैं तुरंत खड़ी हुई और इस विधेयक पर एक संशोधन पेश किया और इस पर आधे से अधिक सदन ने मेरा समर्थन किया। देवेगौड़ा ने संशोधन को स्वीकार कर लिया। उन्होंने विधेयक को स्थायी समिति को सौंपने की घोषणा की।''

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि स्थगित होने से पहले सदन में काफी हंगामा हुआ था। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि, जब वह सदन के गलियारे में आईं तो उनकी पार्टी के कई सांसद नाराज थे, लेकिन दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उनकी बात ध्यान से सुनी।

उन्होंने लिखा, "कट्टर राजनीतिक विरोधी होने के बावजूद, मुलायम सिंह यादव, लालू यादव और उनकी पार्टी के सभी सांसद संशोधन के पक्ष में थे।"

उन्होंने कहा, ''मैं आपके (पीएम मोदी) सामने भी एक संशोधन का प्रस्ताव रख रही हूं। मुझे विश्वास है कि आप इस विधेयक को प्रस्तावित संशोधनों के साथ पारित करा लेंगे। विधायी निकायों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण एक विशेष प्रावधान है। हालांकि, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इन 33 प्रतिशत आरक्षित सीटों में से 50 प्रतिशत एसटी, एससी और ओबीसी महिलाओं के लिए अलग रखी जाएं।''

उन्होंने जोर देकर कहा कि मुस्लिम समुदाय की पिछड़ी महिलाओं को भी विधायी निकायों में आरक्षण के लिए विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "अगर यह विधेयक इस विशेष प्रावधान के बिना पारित हो जाता है, तो पिछड़े वर्ग की महिलाएं इस विशेष अवसर से वंचित हो जाएंगी।"


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