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बड़ी उम्मीदों के साथ भारत आएंगे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन

रूस पर मतभेदों के बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन इस हफ्ते भारत के दौरे पर जा रहे हैं.

बड़ी उम्मीदों के साथ भारत आएंगे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन
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एक बयान में बोरिस जॉनसन ने कहा कि एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में भारत ब्रिटेन का एक अहम रणनीतिक साझीदार है. उन्होंने कहा, "आज जबकि हम एकाधिकारवादी देशों से अपनी शांति और उन्नति को चुनौती का सामना कर रहे हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि लोकतंत्र और मित्र साथ रहें.”

पिछले साल मई में दोनों देशों ने भारत द्वारा ब्रिटेन में 53 करोड़ पाउंड यानी करीब 53 अरब रुपयों के निवेश का एलान किया था. जॉनसन की इस यात्रा पर साइंस, तकनीक और स्वास्थ्य क्षेत्रों में और कई समझौतों का एलान हो सकता है.

यूक्रेन का साया

यह आशंका भी है कि जॉनसन के दौरे पर रूस को लेकर भारत के रुख के कारण पश्चिमी देशों की खिन्नता का असर छाया रह सकता है. ब्रिटेन और अमेरिका समेत पश्चिमी देश चाहते हैं कि भारत रूस के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए और उससे व्यापारिक संबंध कम करे. लेकिन भारत कह चुका है कि रूस से व्यापार जारी रखेगा.

भारत ने यूक्रेन पर हमले को लेकर अपने पुराने मित्र देश रूस की आलोचना नहीं की है. रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में लाए गए तीनों प्रस्तावों पर मतदान के दौरान भी उसने गैरहाजिर रहने का फैसला किया, जिसे रूस का साथ देने के रूप में देखा गया. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि क्वॉड देशों में एक भारत ही है जो रूस के खिलाफ कदम उठाने को लेकर संदिग्ध है. हालांकि, भारत सरकार ने दोनों पक्षों से फौरन हिंसा रोकने और बातचीत से विवाद सुलझाने की अपील की है.

पिछले दिनों भारत दौरे पर गईं ब्रिटिश विदेश मंत्री लिज ट्रस के के सामने ही भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस पर पश्चिमी नीतियों की आलोचना की थी. ट्रस की मौजूदगी में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि रूस पर प्रतिबंधों की बात करना "एक अभियान जैसा” लगता है, जबकि यूरोप रूस से युद्ध के पहले की तुलना में ज्यादा तेल खरीद रहा है.

ब्रिटिश विदेश मंत्री ने बार-बार रूस की आक्रामकता की बात की, लेकिन जयशंकर ने अपने संबोधन में रूस का नाम नहीं लिया. दोनों नेता ‘इंडिया-यूके स्ट्रैटिजिक फ्यूचर्स फोरम' में बोल रहे थे, जिसे ‘इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स एंड पॉलिसी एक्सचेंज' ने आयोजित किया था. इस सम्मेलन के बाद दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक भी हुई.

उससे पहले ब्रिटेन की व्यापार मंत्री ऐन-मरी ट्रेवेलयान ने कहा था कि रूस पर भारत के रुख को लेकर उनका देश बहुत निराश है. भारत के साथ व्यापार वार्ताओं के दूसरे दौर के समापन से पहले ट्रेवेलयान ने यह बात कही. जब ब्रिटिश मंत्री ट्रेवेलयान से पूछा गया कि रूस को लेकर भारत के रूख का मुक्त व्यापार समझौते से संबंधित बातचीत पर असर पड़ेगा या नहीं, तो उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत अपना रूख बदल लेगा. ट्रेवेलयान ने कहा, "हम बहुत निराश हैं लेकिन हम अपने भारतीय साझीदारों के साथ काम करना जारी रखेंगे और उम्मीद करेंगे कि उनके विचार बदलें.”


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