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किसानों की समस्याओं को लेकर ओडिशा सरकार बेपरवाह, समाधाना जरूरी : प्रसन्ना आचार्य

बीजू जनता दल (बीजद) के वरिष्ठ नेता प्रसन्ना आचार्य ने बरगढ़ में चल रहे किसान आंदोलन की अनदेखी के लिए सरकार की कड़ी आलोचना की

किसानों की समस्याओं को लेकर ओडिशा सरकार बेपरवाह, समाधाना जरूरी : प्रसन्ना आचार्य
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भुवनेश्वर। बीजू जनता दल (बीजद) के वरिष्ठ नेता प्रसन्ना आचार्य ने बरगढ़ में चल रहे किसान आंदोलन की अनदेखी के लिए सरकार की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि देश का पेट भरने वाले किसानों को अपना वाजिब हक मांगने के लिए आवाज उठाने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

प्रसन्ना आचार्य ने किसानों द्वारा उठाई गई प्रमुख चिंताओं पर प्रकाश डाला, जिनमें पंजीकरण प्रक्रिया का सरलीकरण, उर्वरकों की समय पर उपलब्धता और उनकी कालाबाज़ारी पर अंकुश, मंडियों में पड़े धान का उठाव और किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करना शामिल है।

उन्होंने ग्रेडिंग और छंटाई के नाम पर मनमानी कटौती की भी निंदा की, जिससे किसानों को इनपुट सब्सिडी से वंचित होना पड़ता है।

प्रसन्ना आचार्य ने कहा, "सरकार किसानों की परेशानियों पर आंखें मूंद रही है। उनकी समस्याओं का तत्काल समाधान किया जाना चाहिए।"

प्रसन्ना आचार्य ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था एक राजनीतिक दल के एजेंट की तरह काम करती दिख रही है, जिससे इसकी निष्पक्षता पर संदेह पैदा होता है।

वहीं वरिष्ठ बीजद नेता और पूर्व मंत्री प्रताप जेना ने रविवार को बरगढ़ में किसानों के विरोध प्रदर्शन का पुरजोर समर्थन किया और डबल इंजन सरकार पर किसानों के हितों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया।

जेना ने कहा कि नवीन पटनायक के कार्यकाल में किसानों के कल्याण को हमेशा प्राथमिकता दी गई। पहली बार कृषि के लिए अलग से बजट आवंटित किया गया और विभाग में सुधार किए गए। ओडिशा को भारत सरकार द्वारा पांच बार 'कृषि कर्मण पुरस्कार' से सम्मानित किया गया, जो नवीन पटनायक की कृषि नीतियों की सफलता को दर्शाता है। पिछले 14 महीनों में डबल इंजन सरकार ने किसानों को पूरी तरह निराश किया है।

उन्होंने कहा, "नए पंजीकरण नियमों ने घर-घर में विवाद पैदा कर दिया है और खरीद प्रक्रिया को धीमा कर दिया है। भाजपा के 'नो कट, नो डिडक्शन' के वादे के बावजूद किसानों को पंजीकरण और धान खरीद में रुकावटों का सामना करना पड़ रहा है, भुगतान में देरी हो रही है। उर्वरकों की कमी है और कालाबाजारी चरम पर है और सरकार द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले बीज घटिया गुणवत्ता के हैं।"

उन्होंने आगे कहा कि बीजद ने इन मुद्दों पर एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें ओडिशा के किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए भारत के राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने की मांग की गई है। जब तक किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता, बीजद का आंदोलन जारी रहेगा।

एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में सीपी राधाकृष्णन के नामांकन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जेना ने कहा कि यह भाजपा का आंतरिक मामला है। ओडिशा के किसानों की दुर्दशा बीजद के लिए ज्यादा चिंता का विषय है।

'वोट चोरी' के आरोपों पर उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को जनता को गुमराह करने से बचना चाहिए और किसानों की समस्या जैसे लोगों के वास्तविक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।


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