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ज्योतिर्लिग पर राजनीति की कीमत उद्धव की पार्टी को सिंबल से चुकानी पड़ी : हिमंत बिस्वा सरमा

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट पर तंज कसते हुए उस विवाद पर प्रतिक्रिया दी

ज्योतिर्लिग पर राजनीति की कीमत उद्धव की पार्टी को सिंबल से चुकानी पड़ी : हिमंत बिस्वा सरमा
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गुवाहाटी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट पर तंज कसते हुए उस विवाद पर प्रतिक्रिया दी, जो राज्य सरकार द्वारा महाशिवरात्रि पर कामरूप जिले में डाकिनी पहाड़ी पर श्रद्धालुओं को आमंत्रित करने के लिए एक विज्ञापन प्रकाशित करने के बाद शुरू हुआ था। सरमा ने कहा कि हो सकता है कि भगवान को राजनीतिक विवाद में लाने के लिए उद्धव ठाकरे ने पार्टी सिंबल खो दिया हो।

इससे पहले, असम सरकार ने दावा किया था कि डाकिनी पहाड़ी छठे ज्योतिर्लिग का स्थल है, जिसने उद्धव ठाकरे की शिवसेना और अन्य दलों सहित महाराष्ट्र विपक्ष को नाराज कर दिया था।

विपक्ष ने कहा कि तीर्थयात्रा महाराष्ट्र के पुणे में गिर गई और उन्होंने असम सरकार पर 'भगवान को चुराने' का आरोप लगाया।

सरमा ने रविवार को एक महाशिवरात्रि समारोह में भाग लेने के दौरान कहा कि शिवपुराण में उल्लेख किया गया है कि भीमशकनार ज्योतिर्लिग को कामरूप की डाकिनी पहाड़ी में रखा गया था। पुराण में इसका पूरा वर्णन है।

फिर उन्होंने कहा, "मैंने शिव पुराण नहीं लिखा है। अगर मैंने इसे लिखा होता, तो आप मुझ पर हमला कर सकते थे।"

उन्होंने कहा, मेरे पास वैज्ञानिक सबूत नहीं हैं, लेकिन मैं अपनी समझ से कह सकता हूं कि जब वे (शिवसेना) भगवान को राजनीतिक विवाद में लाए, तो उन्हें पार्टी का चुनाव चिह्न् गंवाकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव जिन स्थानों से प्रकट हुए उन्हें ज्योतिर्लिग के रूप में जाना जाता है, और देश भर में ऐसे 12 ज्योतिर्लिग हैं।

पांच दिन पहले देशभर के प्रमुख समाचार पत्रों में असम सरकार का विज्ञापन प्रकाशित होने के बाद आदित्य ठाकरे और अन्य नेताओं ने तुरंत हिमंत बिस्वा सरमा की आलोचना की।


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