उदयपुर के नव संकल्प ने मप्र के कांग्रेस नेताओं की उलझन बढ़ाई
राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस एक नई लकीर खींचने की तैयारी में है और इसके लिए उदयपुर में हुए चिंतन शिविर में नव संकल्प लिया गया है

भोपाल। राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस एक नई लकीर खींचने की तैयारी में है और इसके लिए उदयपुर में हुए चिंतन शिविर में नव संकल्प लिया गया है। इस नव संकल्प में जो संकल्प लिए गए हैं उसने मध्य प्रदेश के कई नेताओं की उलझन बढ़ा दी है। कांग्रेस ने जो नव संकल्प लिए गए हैं उनमें सबसे महत्वपूर्ण एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत तो है ही साथ ही एक परिवार एक टिकट का नियम भी लागू करने की बात कही गई है। अगर ऐसा होता है तो मध्य प्रदेश के कई राजनेताओं के परिवार नए तरह की मुसीबत में घिर जाएंगे।
राज्य की कांग्रेस की सियासत में कई परिवार ऐसे हैं जिनके कई सदस्य सियासी तौर पर सक्रिय हैं। वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का परिवार ऐसा है जिसके कई सदस्य निर्वाचित प्रतिनिधि हैं। दिग्विजय सिंह खुद राज्यसभा में सदस्य हैं तो उनके बेटे जयवर्धन सिंह विधायक हैं, वहीं भाई लक्ष्मण सिंह भी विधायक हैं। इसके अलावा परिवार के एक अन्य सदस्य प्रियव्रत सिंह भी विधायक हैं।
वहीं देखें तो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ विधायक हैं और उनके बेटे नकुल नाथ छिंदवाड़ा से सांसद हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया विधायक हैं तो उनके बेटे विक्रांत भूरिया युवक कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष हैं। इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव वर्तमान में तो किसी पद पर नहीं है, लेकिन उनके छोटे भाई सचिन यादव विधायक हैं। इसके अलावा भी और कई ऐसे नेता हैं जिनके परिवार में एक से ज्यादा सदस्य या तो निर्वाचित पदाधिकारी हैं अथवा संगठन की बड़ी जिम्मेदारी संभाले हुए हैं।
वहीं पार्टी ने एक पद पर पांच साल से ज्यादा किसी व्यक्ति के पदस्थ न रहने का भी नियम बनाने की मंशा जाहिर की है। पार्टी इस पर अमल करती है तो आने वाले समय में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को यह पद छोड़ना पड़ सकता है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो उदयपुर के चिंतन शिविर में जो नव संकल्प लिए गए हैं, उन्होंने सियासी तौर पर राज्य के कांग्रेस नेताओं के सामने नई चुनौती तो खड़ी कर ही दी है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या नव संकल्प ऊपर पार्टी अमल कर भी पाएगी।


