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भयंकर गर्मी है और एसी ऑन नहीं कर रहे हैं भारत के ऊबर ड्राइवर

भारत में कई ऐप-आधारित कैब चलाने वाले ड्राइवर अपनी कार के एयर कंडिशनर बंद रखकर विरोध कर रहे हैं.

भयंकर गर्मी है और एसी ऑन नहीं कर रहे हैं भारत के ऊबर ड्राइवर
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भारत के कई शहरों में ऊबर और ओला आदि ऐप के जरिए टैक्सी चलाने वाले ड्राइवरों ने एसी बंद रखने का फैसला किया है. ये ड्राइवर कमीशन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं क्योंकि हाल के हफ्तों में तेल के दाम बेतहाशा बढ़े हैं. इंडिया फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स (IFATW) के महासचिव शेख सलाउद्दीन ने समाचार एजेंसी डीपीए को बताया कि अपना विरोध जताने के लिए कुछ ड्राइवरों ने यात्रा के दौरान एसी बंद रखने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि हैदराबाद और कोलकाता में करीब एक महीने से ड्राइवरों का ऐसा विरोध जारी है और अब यह तरीका अन्य राज्यों के ड्राइवर भी अपनाने लगे हैं क्योंकि तेल लगातार महंगा होता जा रहा है. यूनियन मांग कर रही है कि सरकार ड्राइवरों के लिए न्यूनतम कमीशन तय करे.

उधर ऊबर का कहना है कि ड्राइवरों को एसी चलाना होगा, ऐसा कंपनी उम्मीद करती है. ऊबर के एक प्रवक्ता ने कहा कि यदि ड्राइवर एसी नहीं चलाते हैं तो यात्री ऐप के जरिए शिकायत कर सकते हैं, जिसके आधार पर ड्राइवर को ब्लॉक किया जा सकता है, यानी उन्हें काम नहीं मिलेगा.

ऊबर ने यह भी कहा कि कंपनी ड्राइवरों की बात सुनना चाहती है. ऊबर प्रवक्ता ने कहा कि हाल ही में ऊबर ने अपने ड्राइवर-पार्टनरों के लिए छह शहरों में कमीशन को 12 से 15 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था. और आने वाले दिनों में भी तेल की कीमतों पर नजर रखी जाएगी व जरूरत होने पर कदम उठाए जाएंगे.

तेल की धार
यूनियन के महासचिव सलाउद्दीन का कहना है कि ऊबर ने जितना कमीशन बढ़ाया है, उतना तेल की बढ़ी कीमतों के हिसाब से काफी नहीं है. पिछले हफ्ते दिल्ली में टैक्सी चालकों ने केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों के खिलाफ भी प्रदर्शन किया था. शुक्रवार को जंतर मंतर पर हुए धरना प्रदर्शन में ड्राइवरों ने सीएनजी, पेट्रोल और डीजल के दामों में वृद्धि वापस लेने की मांग की थी.

पिछले दिनों में भारत में पेट्रोल, डीजल और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में भारी वृद्धि की गई है. एक के बाद एक 10 से ज्यादा बार बढ़ाए गए दामों के चलते दिल्ली में पेट्रोल 105.41 रुपये और डीजल 96.67 रुपये में बिक रहा है. मुंबई में पेट्रोल के दाम 120.51 रुपये और डीजल के दाम 104.77 रुपये थे.

हालांकि पिछले 13 दिन से ईंधन की कीमतें नहीं बढ़ाई गई हैं. पिछली बार 6 अप्रैल को पेट्रोल की कीमत 80 पैसे प्रति लीटर बढ़ाई गई थी. अप्रैल में पेट्रोल की कीमत 3.60 रुपये प्रति लीटर बढ़ चुकी है. मार्च में भी ईंधन के दाम नौ दिन के भीतर दस बार बढ़ाए गए थे. इस कारण पेट्रोल 6.40 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ था.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने आयात पर निर्भर करने वाले देशों को ईंधन की कीमतें बढ़ाने को मजबूर कर दिया है. भारत अपनी जरूरत का लगभग 85 प्रतिशत तेल आयात करता है और इस साल उसने ईंधन की कीमतें लगभग 50 प्रतिशत तक बढ़ाई हैं. भारत खाने के तेलों का भी दुनिया का सबसे बड़ा आयातक है. उसकी कुल जरूरत का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा विदेशों से आता है.

महंगाई की मार
कोविड से उबर रही भारतीय अर्थव्यवस्था में जनता पर दोहरी मार पड़ी है. महामारी से उबरने की शुरुआत ही हुई थी कि यूक्रेन युद्ध के बाद महंगाई एक बार फिर बढ़ने लगी. भारत में लोगों ने बाहर के खाने, ईंधन और यहां तक कि सब्जियों में भी कटौतीकरनी शुरू कर दी है क्योंकि महंगाई के कारण घर का खर्च बढ़ गया है. कोविड-19 से उबर रही अर्थव्यवस्था पर अब यूक्रेन युद्ध का असर दिखने लगा है और आवश्यक उपभोक्ता चीजों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिसका असर जन-जीवन पर नजर आने लगा है.

एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में कंपनियां बढ़ती लागत को अब आम उपभोक्तों से वसूल रही हैं. हाल ही में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में पांच महीनों में पहली बार वृद्धि हुई थी. खाने के तेल के दाम भी आसमान छू रहे हैं. भारत के कुल घरेलू उत्पाद में व्यक्तिगत उपभोग का हिस्सा लगभग 60 प्रतिशत है. 24 फरवरी को यूक्रेन द्वारा रूस पर हमले के बाद, जिसे रूस ‘विशेष सैन्य अभियान' कहता है, भारतीय कंपनियों ने दूध, नूडल, चिकन और अन्य सामानों के दाम पांच से 20 प्रतिशत तक बढ़ाए हैं.


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