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भारत में 2 तिहाई बच्चे शारीरिक शोषण का शिकार

देश में दो तिहाई बच्चे 18 वर्ष की अायु से पहले शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण का शिकार बन जाते हैं

भारत में 2 तिहाई बच्चे शारीरिक शोषण का शिकार
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नागपुर। देश में दो तिहाई बच्चे 18 वर्ष की अायु से पहले शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण का शिकार बन जाते हैं और बिहार, हरियाणा, ओड़िसा तथा नई दिल्ली में बच्चों का शाेषण अधिक देखा गया है जहां बच्चे अमानवीय हालातों में रहने काे मजबूर हैं।

संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन की बाल शोषण निरोधक विश्व समिति में शामिल चिकित्सक ड़ा़ राजीव सेठ ने यहां यह जानकारी दी है।

इंडियन अकेडमी आफॅ पीडीएट्रिक्स के वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने आए डा़ सेठ ने बताया कि केन्द्र सरकार ने कुछ माह पहले 13 राज्यों में एक निकाय का गठन किया था जिसने अपने सर्वेक्षण में पाया कि देश के 70 राज्य जिलों में 50 फीसदी बच्चे शारीरिक शोषण का शिकार हैं।

ड़ा़ सेठ के मुताबिक बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा ,ओड़िसा अौर नई दिल्ली ऐसे राज्य हैं जहां बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन सबसे अधिक हाेता है और बच्चों को अमानवीय हालातों में काम करना पड़ रहा है। आनलाइन हिंसा में भी हर सेकंड पांच बच्चों को इस तरह की हिंसा का सामना करना पड़ रहा है।

उन्हाेंने बताया कि देश में 8़ 30 करोड़ बच्चों की शादी युवावस्था से पहले ही कर दी जाती है और यह भी पाया गया है बाल हिंसा के शिकार बच्चों में से 46 प्रतिशत को उन्हीं के जानने वालों या परिचितों ने शिकार बनाया ।

डा़ सेठ ने बताया कि देश में बच्चों के स्वास्थ्य पर अभी भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है और इसमें लगातार उपेक्षा बरती जा रही है।
देश में सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 1़ 5 प्रतिशत ही स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च किया जाता है और इसमें से भी मात्र दशमलव पांच प्रतिशत बाल सुरक्षा और उनके उपचार पर खर्च किया जा रहा है।


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