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विरोध प्रदर्शन के दो दिनों के बाद कश्मीर में जनजीवन पटरी पर लौटा

आठ जुलाई 2016 को बुरहान वानी की मौत के बाद यहां पनप रहे आतंकवाद के लिए अगुवा बन गया था।

विरोध प्रदर्शन के दो दिनों के बाद कश्मीर में जनजीवन पटरी पर लौटा
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श्रीनगर। कश्मीर घाटी में आधिकारिक प्रतिबंधों और अलगाववादियों द्वारा शुरू किए गए विरोध प्रदर्शन के दो दिनों के बाद रविवार को जीवन पटरी पर लौटना शुरू हुआ।

शीर्ष आतंकवादी कमांडर जाकिर मूसा के गुरुवार को मारे जाने के बाद प्रशासन ने घाटी में प्रतिबंध लागू कर दिया था।

त्राल क्षेत्र के दादसारा गांव में मूसा के मारे जाने के बाद प्रशासन ने कर्फ्यू समान प्रतिबंध लगाने, सभी शिक्षण संस्थानों को बंद करने, प्रस्तावित सभी परीक्षाओं की तिथि आगे बढ़ाने और मोबाइल इंटरनेट बंद करने का आदेश दे दिया था।

मूसा ना सिर्फ कश्मीर का सबसे बड़ा वांछित आतंकवादी था, बल्कि आठ जुलाई 2016 को बुरहान वानी की मौत के बाद यहां पनप रहे आतंकवाद के लिए अगुवा बन गया था।

सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी कर रहे युवकों ने दर्जनों स्थानों पर प्रशासनिक प्रतिबंधों को तोड़ा।

त्राल मुठभेड़ के बाद अलगाववादियों ने विरोध स्वरूप बंद का आवाह्न किया था और जनजीवन दो दिनों के लिए रुक गया।

अलगाववादियों ने लोगों से रविवार से दैनिक जीवन में लौटने की अपील की है और इसकी भी पुष्टि की है कि कोई हड़ताल नहीं होगी।

सार्वजनिक अवकाश होने के बावजूद श्रीनगर तथा घाटी के अन्य शहरों में दो दिनों के बाद रविवार को बाजार खुले।

श्रीनगर तथा घाटी के अन्य शहरों में रविवार को सार्वजनिक परिवहन भी आम दिनों की तरह सामान्य गति से चलना शुरू हो गया है।

लोगों को बिना किसी परेशानी के बाहर घूमने की सुविधा देने के लिए प्रशासन ने घाटी में कहीं भी कोई प्रतिबंध नहीं लगाया।


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