तुलसीराम ने स्कूल के लिए दिया अपना घर
दमोह जिले की बादीपुरा पंचायत का भौपाठा गांव। 58 वर्षीय तुलसी गौण्ड के पास ढाई एकड़ जमीन है, जिसमें वह खेती करता है

भोपाल। दमोह जिले की बादीपुरा पंचायत का भौपाठा गांव। 58 वर्षीय तुलसी गौण्ड के पास ढाई एकड़ जमीन है, जिसमें वह खेती करता है। परिवार में पत्नी सदारानी के अलावा दो शादीशुदा लड़के हैं, जो मजदूरी कर परिवार का गुजारा करते हैं।
गांव में स्कूल न होने के कारण तुलसी राम और उनके दोनों लड़कों का स्कूल जाने का ख्वाब अधूरा रह गया। तुलसी राम का पोता कक्षा 2 का विद्यार्थी है और वह गांव से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर सुरगुवा प्राथमिक स्कूल में पढ़ने जाता है,स्कूल के रास्ते में नाला और खेत पड़ते हैं। बहुत सारे बच्चे स्कूल न जाकर रास्ते में खेलते हैं और घर वापस आ जाते हैं। बच्चे नाले को स्कूल न जाने का कारण मानते हैं।
बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा से संबंधित समस्याओं पर भौपाठा के लोगों ने गांव में प्राथमिक स्कूल खुलवाने का सामूहिक निर्णय लिया। अधिकारियों को आवेदन देकर स्कूल खोलने की मांग की, फिर भी स्कू ल नहीं खुल पाया। अभिभावक बच्चों को लेकर दमोह कलेक्टर के पास पहुॅचे और स्कूल खोलने की मांग की।
लोगों की मांग को देखते हुए कलेक्टर ने शिक्षा विभाग से संबंधित अधिकारियों को मौके पर जाने के निर्देश दिये। अधिकारियों ने गांव का दौरा करने के बाद 45 बच्चों को स्कूल में पढ़ने योग्य पाया और गांव में स्कूल खोलने के निर्देश दिये। अधिकारियों के सामने दिक्कत यह थी, कि आदिवासी बाहुल्य इस गांव में स्कूल खोलने के लिए जमीन नहीं मिल पा रही थी। मौके पर तुलसीराम खड़ा था।
उसने तुरंत कहा, कि उसने अपने लड़के के लिए यह घर बनाया है, अभी तक घर के भीतर दीवार नहीं बनी है। इसीलिए 45 बच्चे इस कक्ष में आराम से बैठ सकते हैं, इसके लिए सरकार को हमें कोई किराया भी नहीं देना है, उल्टे गांव के बच्चों को शिक्षा मिलेगी। अधिकारियों ने तुलसीराम के नवनिर्मित घर को देखा और अगले दिन से उसी घर में स्कून खोलने के निर्देश दे दिये, साथ ही पड़ोस के स्कूल वाले शिक्षकों को भौपाठा में नियुक्त कर दिया गया। अब गांव के बच्चों को इस स्कूल में दाखिला भी मिल गया है।
17 जुलाई को इस स्कूल का शुभारंभ भी हो चुका है। आदिवासियों को खुशी है, कि उनके बच्चे अब पढ़ लिखकर कामयाब होंगे।


