नौकरी छोड़ रहे हैं किन्नर
किन्नरों को नौकरी देकर देश की ऐसी पहली मेट्रो होने का गौरव पाने वाली कोच्चि मेट्रो से किन्नर नौकरी छोड़ रहे हैं
कोच्चि। किन्नरों को नौकरी देकर देश की ऐसी पहली मेट्रो होने का गौरव पाने वाली कोच्चि मेट्रो से किन्नर नौकरी छोड़ रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 जून को कोच्चि में मेट्रो के उद्घाटन के बाद किन्नरों को नौकरी देने के लिए कोच्चि मेट्रो रेल की जमकर तारीफ की थी।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार कोच्चि मेट्रो में पहले चरण में महिलाओं के लिए 1000 और किन्नरों के लिए 23 पद आरक्षित हैं जिनमें 21 पदों पर ही किन्नरों की भर्ती हुयी है।
श्री मोदी ने इस कदम की तारीफ करते हुए कहा था,“ सैकड़ों महिलाओं के साथ ही किन्नरों को नौकरी देकर लैंगिक न्याय की दिशा में ये सराहनीय कदम है।”
यह विडंबना ही है कि देश के सर्वाधिक साक्षरता दर वाले राज्य केरल में समाज के कुछ वर्ग की संकीर्ण मानसिकता के कारण किन्नरों को किराये का मकान नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण 21 में से आठ किन्नरों ने मात्र एक सप्ताह के अंदर नौकरी छोड़ दी।
कोच्चि मेट्रो की यह नायाब पहल कितनी फलीभूत होती है, यह तो समय ही बतायेगा।
इडापल्ली मेट्रो स्टेशन पर टिकट कलेक्टर के पद पर काम करने वाली किन्नर राग रजनी ने कहा,“ मैं फिलहाल एक लॉज में रहती हूं जिसके लिए मुझे प्रतिदिन 600 रूपये देने पड़ते हैं और मेरी तनख्वाह मात्र 15000 रुपये है।
ऐसे में मैं कैसे अपना गुजारा कर सकती हूं ?” मेट्रो में हाउस कीपिंग की नौकरी छोड़ने वाली किन्नर तृप्ति ने कहा कि किराये का मकान नहीं मिल पाने के लिए उसने नौकरी छोड़ दी और शहर के बाहरी इलाके में एक कमरे में रह रही है।
किन्नरों को मेट्रो में उनकी योग्यता के मुताबिक हाउस कीपिंग, टिकट काउंटर जैसे अलग-अलग जगहों पर काम दिया गया है।


