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भाजपा में असंतोष के स्वरों पर लगाम कसने की कोशिश

मध्यप्रदेश में आगामी समय में होने वाले विधानसभा उपचुनाव से पहले भाजपा के भीतर उठ रहे असंतुष्ट के स्वरों को काबू में रखने की कवायद जारी है।

भाजपा में असंतोष के स्वरों पर लगाम कसने की कोशिश
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भोपाल | मध्यप्रदेश में आगामी समय में होने वाले विधानसभा उपचुनाव से पहले भाजपा के भीतर उठ रहे असंतुष्ट के स्वरों को काबू में रखने की कवायद जारी है। उसी का नतीजा है कि जिन नेताओं के तेवर तल्ख थे, अब वे कुछ शांत पड़ने लगे हैं।

राज्य में 26 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना है और भाजपा इन उपचुनावों में लगभग 24 स्थानों पर दल-बदल करने वालों को उम्मीदवार बनाने जा रही है। इसी के चलते भाजपा के कई नेता असंतुष्ट हैं और उन्होंने अलग-अलग मौकों पर अपनी राय भी जाहिर की है। इन नेताओं की राय पार्टी की रीति नीति पर सवाल उठाने वाली रही है।

बात अगर हम देवास जिले के हाटपिपलिया क्षेत्र से विधायक रहे पूर्व मंत्री दीपक जोशी की करें, ग्वालियर के पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया की करें या जबलपुर के पाटन से विधायक अजय विश्नोई की करें तो इन सभी ने अपने-अपने तरह से सवाल उठाए और संगठन के सामने चुनौती खड़ी करने की कोशिश की है।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि इन तीनों नेताओं के अलावा और भी कई स्थानों पर कई जिम्मेदार नेताओं ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ रहे लोगों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी। इसकी वजह अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर उनकी चिंता मानी जा रही है। इस पर प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, महामंत्री संगठन सुहास भगत और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के अलावा कई अन्य नेताओं ने असंतुष्ट नजर आने वालों से चर्चा की। साथ ही उन्हें भरोसा दिलाया गया है कि सरकार और संगठन में उनके अनुभव और क्षमताओं के अनुसार जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

नेताओं में असंतोष की बात पर प्रदेशाध्यक्ष शर्मा का कहना है कि कार्यकर्ता होने के नाते तमाम लोग उनके पास अपनी बात कहने आते हैं, उन्हें संतुष्ट किया जाता है और संबंधित नेता व कार्यकर्ता भी इस बात को मानते हैं कि जो कहा गया है, वह सही है। लिहाजा, असंतोष जैसी कोई बात नहीं है।

राजनीतिक विश्लेषक अरविंद मिश्रा का कहना है कि भाजपा के लिए इस दल-बदल के दौर में अपने पुराने और कर्मठ कार्यकर्ताओं के असंतोष को काबू में रखना बड़ी चुनौती है। सत्ता और संगठन इसके लिए प्रयास कर रही है, मगर सफलता कितनी मिलती है, यह तो समय ही तय करेगा। फिलहाल ऐसा जरूर लग रहा है कि पार्टी ने असंतुष्टों को या तो मना लिया है या उन्हें हिदायत देकर चुप करा दिया गया है।


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