Top
Begin typing your search above and press return to search.

वाराणसी के गंगा घाटों पर चंद्रग्रहण के बाद आस्था की डुबकी लगाने उमड़े श्रद्धालु

सदी के सबसे बड़े चंद्रग्रहण के बाद उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी में आज तड़के से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु जीवन दायनी गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाकर देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना कर रहे

वाराणसी के गंगा घाटों पर चंद्रग्रहण के बाद आस्था की डुबकी लगाने उमड़े श्रद्धालु
X

वाराणसी। सदी के सबसे बड़े चंद्रग्रहण के बाद उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी में आज तड़के से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु जीवन दायनी गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाकर देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना कर रहें हैं।

चंद्रग्रहण के नौ घंटे पहले सूतक काल शुरु होने के कारण शुक्रवार दोपहर बाद बंद किये गए मंदिरों के कपाट शनिवार निर्धारित समय पर खोल दिये गए हैं। गंगा स्नान के बाद दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालु मंदिरों की ओर रुख कर रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर सहित अनेक मंदिरों के बाहर श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी हैं। मां गंगा एवं अन्य देवी-देवताओं की पूजा के बाद श्रद्धालु गरीबों को दान देकर पुण्य कमा रहे हैं।

ऐतिहासिक दशाश्वमेध और असि समेत अनेक गंगा घाटों पर पावन स्नान के लिए तड़के चार बजे से पहले ही देशी-विदेशी श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। घाटों पर दोपहर तक अधिक भीड़ रहने की संभावना है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आनंद कुलकर्णी ने बताया कि चंद्रग्रहण के बाद श्रद्धालुओं के गंगा स्नान करने तथा उनके मंदिरों में पूजा-पाठ के लिए उनकी भीड़ उमड़ने की संभावनाओं के मद्देनजर सुरक्षा एवं यातायात के पुख्ता इंतजाम किये गए हैं। उन्होंने बताया कि किसी अपात स्थिति से निपटने के लिए जल पुलिस एवं आपदा प्रबंधन दल को विशेष रुप से सतर्क कर दिया गया हैं।

उन्होंने बताया कि वैसे भी शनिवार से भगवान शिव के सबसे प्रिय सावन माह शुरु होने तथा इस मौके पर यहां लाखों कांवाड़ियों के आने की संभावनाओं के मद्देनजर पहले ही सुरक्षा के चाकचौबंद इंतजाम कर लिये गए थे।

कुलकर्णी ने बताया कि बहुत से पुलिसकर्मी सादे पोशाक में सुरक्षा निगरानी कर हैं। सीसीटीवी तथा ड्रोन कैमरों के माध्यम से चप्पे-चप्पे नजर रखी जा रही है।

गौरतलब है कि शुक्रवार रात 11 बजकर 54 मिनट पर चंद्रग्रहण शुरु होने से नौ घंटे पहले दोपहर में सूतक काल शुरु हो गया था। इस वजह शाम को होने वाली विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती दोपहर में आयोजित की गई थी। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूतक काल के दौरान कोई धार्मिक आयोजन करना उचित नहीं माना जाता है। इस वजह से मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिये गए थे।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it