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हिमाचल में बागियों से परेशान भाजपा ने गुजरात को लेकर बनाई यह रणनीति

गुजरात को देश में भाजपा का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है

हिमाचल में बागियों से परेशान भाजपा ने गुजरात को लेकर बनाई यह रणनीति
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नई दिल्ली। गुजरात को देश में भाजपा का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है। प्रदेश में 1995 से लगातार छह बार विधान सभा चुनाव जीत कर भाजपा एक रिकॉर्ड बना चुकी है। भारी बहुमत के साथ जीत दर्ज कर लगातार सातवीं बार सरकार बनाने के लक्ष्य को लेकर भाजपा इस बार चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य होने के कारण पार्टी यहां अपनी जीत को सुनिश्चित मान कर चल रही है लेकिन हिमाचल प्रदेश में बागियों की चुनौती से परेशान भाजपा आलाकमान गुजरात को लेकर कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं है।

दरअसल, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का गृह राज्य होने के कारण हिमाचल प्रदेश में भी भाजपा आलाकमान की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है इसलिए टिकट बंटवारे के बाद जब दो दर्जन से ज्यादा नेताओं ने नाराज होकर पार्टी के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर दिया तो उन्हें मनाने के लिए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को ही मैदान में उतारा गया, लेकिन आखिरी समय तक कोशिश करने के बावजूद बागियों को मनाने में नड्डा को आंशिक कामयाबी ही मिल पाई। प्रदेश की कुल 68 विधानसभा सीटों में से 19 सीटों पर बागियों के ताल ठोंकने की वजह से भाजपा की सांसें अटकी हुई हैं।

हिमाचल प्रदेश में बागियों से परेशान भाजपा गुजरात को लेकर कोई जोखिम उठाने को तैयार नही है। इसलिए टिकटों के ऐलान से पहले ही बगावत को थामने की तैयारी भी भाजपा ने शुरू कर दी है। प्रदेश में लगभग एक चौथाई सीटों पर भाजपा नए उम्मीदवारों को उतारने की तैयारी कर रही है।

बताया जा रहा है इतने बड़े पैमाने पर होने वाले बदलाव की वजह से संभावित बगावत को थामने के लिए भाजपा एक साथ कई लिस्ट तैयार कर रही है। एक तरफ जहां सीट वाइज मजबूत और संभावित उम्मीदवारों की लिस्ट तैयार की जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ इन संभावित उम्मीदवारों के साथ-साथ वर्तमान विधायकों और टिकट के दावेदारों के करीबियों की भी लिस्ट तैयार की जा रही है। मैन टू मैन माकिर्ंग की रणनीति के तहत टिकट बंटवारे की घोषणा के साथ ही इन करीबियों और प्रभावशाली व्यक्तियों का उपयोग नाराज नेताओं को मनाने के लिए किया जाएगा ताकि वो सार्वजनिक रूप से न तो कोई बयान दें और न ही बागी होकर चुनावी मैदान में उतर जाएं।


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