Top
Begin typing your search above and press return to search.

त्रिपुरा आईपीएफटी के नेता पीएम मोदी, अमित शाह से मिलेंगे, राज्य मांगेंगे

इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के नेता अगले सप्ताह राज्य की मांग को लेकर दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और अन्य केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात करेंगे

त्रिपुरा आईपीएफटी के नेता पीएम मोदी, अमित शाह से मिलेंगे, राज्य मांगेंगे
X

अगरतला । इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के नेता अगले सप्ताह राज्य की मांग को लेकर दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और अन्य केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात करेंगे। आईपीएफटी राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी पार्टी है।

एक पार्टी नेता ने शनिवार को कहा, "हम 15 और 16 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और दूसरे केंद्रीय मंत्रियों से मिलने के लिए रविवार को अगरतला से दिल्ली के लिए रवाना होंगे।"

आईपीएफटी के महासचिव और वन मंत्री मेवर कुमार जमातिया ने कहा, "राज्य की हमारी मुख्य मांग के अलावा, हम त्रिपुरा में आदिवासियों के सर्वागीण विकास के बाबत अन्य मांगों के लिए भी दबाव डालेंगे।"

जनजातीय आधारित स्थानीय पार्टी आईपीएफटी 2009 से त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) के उन्नयन के लिए एक अलग राज्य बनाने के लिए आंदोलन कर रही है, जिसमें त्रिपुरा के 10,491 वर्ग किलोमीटर के दो-तिहाई से अधिक क्षेत्राधिकार है। यह 12,16,000 से अधिक लोगों को घर है।

त्रिपुरा की सबसे पुरानी आदिवासी-आधारित राजनीतिक पार्टी, इंडिजिनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा (आईएनपीटी) के साथ-साथ प्रमुख सत्तारूढ़ भाजपा, विपक्षी कांग्रेस और वाम मोर्चा का प्रतिनिधित्व करने वाली मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने भी आईपीएफटी के अलग राज्य की मांग का विरोध किया है।

आईपीएफटी के प्रवक्ता और पार्टी के सहायक महासचिव मंगल देबबर्मा ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष और राजस्व मंत्री नरेंद्र चंद्र देबबर्मा के नेतृत्व में 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से टीटीएएडीसी को अधिक स्वायत्तता और शक्ति देने का आग्रह करेगा।

देबबर्मा ने आईएएनएस से कहा, "केंद्र सरकार ने पहले आदिवासियों के सामाजिक-आर्थिक विकास के विभिन्न उपायों की सिफारिश करने के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया था। "

उन्होंने कहा, "हम समिति की सिफारिशों के कार्यान्वयन के बारे में अंधेरे में हैं।"

आईपीएफटी की अन्य मांगों में भारत के संविधान की 8वीं अनुसूची में आदिवासियों की 'कोकबोरोका' भाषा को शामिल करना और 'कोकबोरोक' के लिए रोमन लिपि का परिचय शामिल करना है।

आईपीएफटी ने हालिया लोकसभा चुनाव और चल रहे पंचायत चुनावों में भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा था।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it