Top
Begin typing your search above and press return to search.

त्रिपुरा हाईकोर्ट ने 10323 शिक्षकों की सेवा समाप्ति पर सरकार को भेजा नोटिस

त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के अंदर अर्हताप्राप्त शिक्षकों की सेवा समाप्त करने के दोहरे रुख के बारे में जवाब मांगा है

त्रिपुरा हाईकोर्ट ने 10323 शिक्षकों की सेवा समाप्ति पर सरकार को भेजा नोटिस
X

अगरतला। त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के अंदर अर्हताप्राप्त शिक्षकों की सेवा समाप्त करने के दोहरे रुख के बारे में जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता सजल देव ने मई 2014 में उन्हें नौकरी से हटाने पर याचिका दायर की। वह 10323 शिक्षकों में से एक है जिन्हें नौकरी से हटा दिया था। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि शिक्षकों के मामले में वाम मोर्चा सरकार की रोजगार नीति के तहत उन्हें हटा दिया गया है लेकिन अन्य विभाग के कर्मचारियों को भी उसी नीति के तहत नौकरी दी गयी है उन पर कोई असर नहीं पड़ा है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि उच्च न्यायालय का मुख्य फैसला जिसमें 10323 शिक्षकों की नौकरी को समाप्त कर दिया उसमें न तो कुल संख्या का उल्लेख किया और न ही उन कर्मचारियों के नाम का उल्लेख किया है जिन्हें नौकरी से हटाया जायेगा। अदालत का यह फैसला स्पष्ट तौर पर सरकार की रोजगार नीति को प्रभावित कर रहा था लेकिन जब राज्य सरकार ने नौकरी से हटाने का आदेश जारी किया और बाद में जारी किये गये तदर्थ नियुक्ति में केवल उन शिक्षकों को बुलाया जिन्हें एक विशेष अवधि के दौरान नियुक्त किया गया था।

इसी तरह राज्य सरकार ने इसी नीति के तहत वर्ष 2012 में बिना किसी निर्धारित योग्यता और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के मानदंड के 996 विज्ञान के शिक्षकों को नियुक्त किया था लेकिन उन शिक्षकों की नौकरी नियमित कर दी गयी। इसके अलावा राज्य सरकार ने बाद में बीएड और डीएलएड करने वालों को यह सुविधा दी, क्योंकि उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की रोजगार नीति को रद्द कर दिया था, इसलिए सभी को दी गई नौकरी को रद्द कर दिया जाना चाहिए था लेकिन राज्य सरकार ने ऐसा नहीं किया।

याचिकाओं पर सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति अरिंदम लोध की खंडपीठ ने राज्य सरकार से स्पष्टीकरण देने को कहा है। हालांकि राज्य सरकार के सूत्रों के अनुसार आदेश का तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार ने पालन किया था और भाजपा-आईपीएफटी सरकार ने स्कूलों को चलाने के लिए तदर्थ शिक्षकों के दो साल बढ़ाने की मांग की क्याेंकि राज्य में शिक्षकों की भारी कमी हो रही है।



Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it