Top
Begin typing your search above and press return to search.

त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में इस बार लड़ाई माकपा और भाजपा के बीच

 त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव में इस बार लड़ाई पिछले 25 साल से सत्ता पर काबिज मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और देश के 19 राज्यों में सत्ता संभाल चुकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच सिमटकर रह

त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में इस बार लड़ाई माकपा और भाजपा के बीच
X

नई दिल्ली। त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव में इस बार लड़ाई पिछले 25 साल से सत्ता पर काबिज मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और देश के 19 राज्यों में सत्ता संभाल चुकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच सिमटकर रह गई है। चुनावों में कई सीटें ऐसी हैं, जहां माकपा का एकछत्र राज रहा है। ऋषियामुख विधानसभा क्षेत्र उन चुनिंदा सीटों में से एक है, जहां केवल और केवल माकपा के बादल चौधरी का कब्जा है।

त्रिपुरा विधानसभा सीट संख्या-37 ऋषियामुख। त्रिपुरा पूर्व लोकसभा क्षेत्र के हिस्से ऋषियामुख विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 43,131 है, जिसमें से 22,335 पुरुष और 20,796 महिला मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे।

ऋषियामुख विधानसभा सीट पर अब तक हुए कुल नौ विधानसभा चुनावों में से अगर 1972 और 1993 के विधनासभा चुनावों को छोड़ दें, तो इस सीट पर माकपा के बादल चौधरी ने सात चुनावों में जीत दर्ज की है। बादल चौधरी ने 1977, 1983, 1988, 1998, 2003, 2008 और 2013 में हुए विधानसभा चुनाव जीतकर ऋषियामुख पर लाल पताका फहराई हुई है।

माणिक सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, राजस्व और लोक निर्माण मंत्री बादल चौधरी राज्य के कद्दावर माकपा नेताओं में से एक हैं। 1967 में पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तहत अगरतला के एन.एस. विद्यानिकेतन से 12वीं पास करने वाले बादल चौधरी क्षेत्र में अपनी साफ सुथरी छवि के लिए जाने जाते हैं। बतौर 35 साल के लंबे कार्यकाल में उनके ऊपर कोई भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं है।

माकपा ने अपने दिग्गज और अनुभवी नेता बादल पर एक बार फिर से दांव आजमाया है और वह रिकॉर्ड 10वीं बार चुनाव मैदान में हैं।

वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभरी भाजपा ने बादल के किले में सेंध लगाने के लिए अपने युवा नेता आशीष वैद्य को उतारा है। आशीष ऋषियामुख में भाजपा प्रदेश इकाई के मंडल अध्यक्ष हैं।

वहीं कांग्रेस ने अपने अनुभवी नेता दिलीप कुमार चौधरी पर फिर से भरोसा जताया है। दिलीप ने 1993 में माकपा के बादल चौधरी को शिकस्त दी थी, लेकिन अगले तीन चुनाव 1998, 2003 और 2008 में उन्हें बादल के हाथों शिकस्ता का सामना करना पड़ा। इसके बाद पार्टी ने 2013 में दिलीप का टिकट काटकर सुशांकर भौमिक को खड़ा किया, लेकिन नतीजे वहीं रहे और बादल विजयी रहे।

राज्य में पार्टी की खस्ता हालत को देखते हुए कांग्रेस ने एक बार फिर से दिलीप पर भरोसा दिखाया है और उन्हें बादल के खिलाफ खड़ा किया है।

इसके अलावा सुदर्शन मजूमदार बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमाने उतरे हैं।

राज्य में पिछले 25 सालों के माकपा के निरंकुश शासन में उसकी सुरक्षित सीटों ने बहुत साथ दिया है। ऋषियामुख भी उन्हीं सीटों में से एक है। इस चुनाव में जहां एक तरफ पुराने प्रतिद्वंदी बादल और दिलीप चौधरी एक बार फिर से आमने सामने है तो वहीं भाजपा युवा के सहारे माकपा के किले में सेंध लगाने की जुगत में है।

चुनावों में माकपा ने 57 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित किए हैं तो वहीं भाजपा ने 51 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। कांग्रेस ने सभी 60 सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं।

60 सदस्यीय विधानसभा के लिए मतदान 18 फरवरी को होगा और तीन मार्च को मतों की गणना होगी।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it