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रायपुर के अमर शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि

महाकोसल इतिहास एवं जनकवि सुरेन्द्र रघुनाथ मिश्र ‘सुरता’ छत्तीसगढ़ छवि अबेधक संस्थान द्वारा 1858 की क्रांति में रायपुर नगर के जिन सत्रह लोगों की गिरफ्तारी हुई थी उनको आज ही के दिन 22 जनवरी 1858 को सैनिकों एवं जनता के समक्ष फांसी दी गई थी

रायपुर के अमर शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि
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रायपुर। महाकोसल इतिहास एवं जनकवि सुरेन्द्र रघुनाथ मिश्र ‘सुरता’ छत्तीसगढ़ छवि अबेधक संस्थान द्वारा 1858 की क्रांति में रायपुर नगर के जिन सत्रह लोगों की गिरफ्तारी हुई थी उनको आज ही के दिन 22 जनवरी 1858 को सैनिकों एवं जनता के समक्ष फांसी दी गई थी जिनमें अमर शहीद गौज खान, अब्दुल हजत, मुल्लू, शिवनारायण, पन्नालाल, मातादीन, ठाकुर सिंह, अकबर हुसैन, बल्ली, लल्ला सिंह, बुद्धू, परमानंद, शोभाराय, दुर्गा प्रसाद, नजर मोहम्मद, शिव गोविन्द तथा देवीदीन का पूण्य स्मरण करते हुए पुष्पांजली अर्पित की गई।

ज्ञातव्य है कि वीर हनुमान सिंह राजपूत के नेतृत्व में 18 जनवरी शाम 7 बजे फौजी छावनी रायपुर में क्रांति की गई थी जिनमें ये 17 लोग गिरफ्तार हुए थे और हनुमान सिंह राजपूत को गिरफ्तार करने में असफल रहे।

रायपुर अंचल के विप्लव से अंग्रेज चिंतित थे 23 जनवरी 1858 को मेजर जनरल ब्हीटलाक ने शंका व्यक्त की थी यदि यह भंडारा, चांदा, उड़ीसा, बंगाल की सीमा से लगे वन्य क्षेत्र में फैल जाता तो रायपुर का विद्रोह निश्चित रूप से पूर्व और उत्तर के प्रदेश के सब जमींदारों में फैल जाता, इतने विशाल इतने कठिन अस्वास्थ कर प्रदेश में फैल जाने वाला विद्रोह किसी विशाल सेना बिना और भारी संख्या में प्राणों की बली दिये बिना शांत नही किया जा सकता था। मंगल पाण्डेय और मेरठ क्रांति सदृश्य इतिहास के पन्नो पर इसका उल्लेख होता। हनुमान सिंह ने 20 जनवरी की रात्रि में डिप्टी कमिश्नर इलियट के बंगले पर हमला का एक प्रयास पुन: किया था जहां पर केप्टन विल्सन, मिस्टर बेंसले, मिरा बेंसले, मिस्टर एपोथी कैरी कार के. स्मिथ सो रहे थे। विल्सन के नौकर के जागने के कारण अंग्रेजियों के घुड़सवार सतर्क हो गए तलवार लेकर एक आदमी को बाहर जाते हुए देखा गया जो हनुमान सिंह राजपूत ही रहा होगा। अभिलेखों के वर्णन के अनुसार उसके बारे में लिखा गया है रैंक मैग्जिन लश्कर जाति राजपूत उम्र 35 वर्ष ऊंचाई 5 फीट 4 इंच गठीला शहीद गोल चेहरा ऊंचा मस्तक बड़ी आंखे ऊंची आवाज वाला था वह बैंसवारा का निवासी था। दाहिने हाथ की कलाई में काले बांस के रंग का भुर्रा पहनता था।

उक्त विचार व्यक्त करते हएु आचार्य रमेन्द्र नाथ मिश्र ने रायपुर क्रांति की विस्तृत जानकारी दी। उक्त अवसर पर आर.एस. ठाकुर, श्रीमती डॉ. सुनीत मिश्र, बरखा महेन्द्र मानिकपुरी, मनोज खरे, सुरभि मिश्र खेर, अवनीश झा, दिव्यांश खरे, प्रदीप मिश्र, सुमित्रा कैवर्त आदि उपस्थित थे।


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