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ट्रिब्यूनल ने भीलवाड़ा की झीलों एवं नदियों का पानी जांचने के दिये आदेश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) नई दिल्ली ने राजस्थान के भीलवाड़ा में झीलों एवं नदियों के पानी के नमूने लेकर जांच करने के आदेश दिये है।

ट्रिब्यूनल ने भीलवाड़ा की झीलों एवं नदियों का पानी जांचने के दिये आदेश
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भीलवाड़ा । नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) नई दिल्ली ने राजस्थान के भीलवाड़ा में झीलों एवं नदियों के पानी के नमूने लेकर जांच करने के आदेश दिये है।

ट्रिब्यूनल ने भीलवाड़ा शहर के गांधी सागर तालाब, नेहरू तलाई एवं मानसरोवर झील में जा रहे शहर के गंदे नालों के मलमूत्र वाले पानी, कोठारी एवं बनास नदी में औद्योगिक इकाईयों के जा रहे प्रदूषित पानी के मामले में पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण संस्था पीपुल फाॅर एनीमल्स के प्रदेश प्रभारी एवं पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू के पत्र को जनहित याचिका मानते हुए यह आदेश दिये।

श्री जाजू ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल प्रिंसीपल बैंच नई दिल्ली के न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल को झीलों में गंदे पानी को लेकर पत्र लिखा था। इस पर एनजीटी ने राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जयपुर को नोटिस देते हुए 20 दिसम्बर तक जवाब मांगा है।

आदेश के बाद प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के क्षेत्रीय अधिकारी महावीर मेहता ने श्री जाजू को साथ लेकर तीनों झीलों, कोठारी एवं बनास नदी के प्रदूषित पानी के नमूने लिये, जो जयपुर फोरेन्सिक लेब में भेजे जाएंगे। श्री जाजू ने याचिका में बताया कि बनास एवं कोठारी नदी के किनारों के पास के बीस से अधिक गांवों के कुएं जहरीले पानी के भंडार बन चुके हैं एवं वहां की हजारों हेक्टेयर भूमि जमीने बंजर हो चुकी है, पशुओं की प्रजनन शक्ति भी कम हुई है।

उल्लेखनीय है कि श्री जाजू द्वारा पूर्व में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भोपाल के आदेशों के बावजूद प्राचीन झीलों में जहरीला पानी जाने के मामले में अवमानना याचिका भी प्रस्तुत कर रखी है।

श्री जाजू ने बताया कि इन झीलों का पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि यहां हर वर्ष शीतकालीन प्रवास पर आने वाले देशी एवं विदेशी पक्षियों के आने में भी कमी आई हैं।


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