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प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग के खिलाफ जनजातीय दलों का बंद

त्रिपुरा की राजधानी अगरतला के पूर्वी हिस्से माधव बारी इलाके में नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में आयोजित प्रदर्शन के दौरान हुई पुलिस फायरिंग को लेकर पिछले चार दिनों से तनाव व्याप्त

प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग के खिलाफ जनजातीय दलों का बंद
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अगरतला। त्रिपुरा की राजधानी अगरतला के पूर्वी हिस्से माधव बारी इलाके में नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में आयोजित प्रदर्शन के दौरान हुई पुलिस फायरिंग को लेकर पिछले चार दिनों से तनाव व्याप्त है।

आदिवासी बहुल विपक्षी इंडिजीनस पार्टी ऑफ त्रिपुरा (आईएनपीटी) समेत छह जनजातीय पार्टियों ने शनिवार को त्रिपुरा आदिवासी क्षेत्र स्वायत्तशासी परिषद (एडीसी) बंद का आह्वान किया है। भारतीय जनता पार्टी के साथ सरकार में शामिल आईपीएफटी को छोड़ बाकी सभी जनजातीय राजनीतिक पार्टियों तथा स्वदेशी सामाजिक संगठनों ने मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव के इस्तीफे तथा तीन अन्य मुद्दों को लेकर जारी हड़ताल का समर्थन किया है।

आईएनपीटी के महासचिव जगदीश देववर्मा ने कहा कि इस घटना ने आम लोगों में गंभीर प्रतिक्रिया पैदा की है और उनमें दहशत व्याप्त है, जिससे आदिवासी और गैर-आदिवासी के बीच संबंध भी प्रभावित हुए हैं। आईएनपीटी के अलावा एनसीटी, आईपीएफटी (टिपरा) और टीपीपी भी हड़ताल में शामिल हो गए हैं।

आंदोलनकारी मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग के अलावा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की ओर से माधव बारी की पुलिस फायरिंग की घटना की न्यायिक जांच कराने, प्रत्येक पीड़ित को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने और बंद समर्थकों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

इस बीच, पूर्वोत्तर के छात्र संगठन (नेसो) के छह सदस्यीय दल ने संगठन के सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य के नेतृत्व में कल प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और पीड़ित परिवारों और घायल व्यक्तियों से अस्पताल में मुलाकात की तथा उनका कुशलक्षेम पूछा।

उन्होंने घटना की स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए शनिवार के एडीसी बंद को भी अपना समर्थन दिया। दूसरी ओर, भाजपा नीत राज्य सरकार के एकमात्र साझेदार आईपीएफटी ने भी माधव बारी की घटना की उच्च स्तरीय न्यायिक जाँच की भी माँग की है।

राज्य के आदिवासी कल्याण मंत्री और आईपीएफटी के महासचिव मेवर कुमार जमातिया ने शांति और विकास में बाधा डालने के किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं किये जाने की वकालत करते हुए कहा, “हम चाहते हैं कि सरकार टकराव एवं संघर्ष की न्यायिक जांच के आदेश दे क्योंकि इनमें माकपा (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) का हाथ होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।”

अस्पताल के बयान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सुमित देववर्मा जिन्हें इस घटना में गंभीर रूप से गोली लगी थी, कोलकाता स्थानांतरित कर दिए गए थे। उनका उपचार किया जा रहा है और उनकी स्थिति स्थिर बनी हुई है।

इस बीच, इंटरनेट और एसएमएस सेवाओं पर जारी प्रतिबंधों के शनिवार रात तक विस्तार के बाद सार्वजनिक जीवन गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है। इसके परिणामस्वरूप, चार दिनों तक इंटरनेट सेवा की रुकावट के कारण पर्यटकों, बैंकिंग और यात्रियों को भारी असुविधा हुई।

इंटरनेट सेवा बाधित होने से लोग खासे दुखी हैं और सरकार को भी गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ा है। युवा संगठनों ने मुख्यमंत्री पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले के खिलाफ काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि श्री मोदी ने लोगों को साइबर स्पेस पर निर्भर बनाया है। पिछले चार दिनों में सार्वजनिक कार्यालयों में कारोबार और कामकाज कम हो गया है।


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