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बुजुर्गों की सेवा को सौभाग्य समझें: रमन सिंह

 मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सभी लोगों से बुजुर्गों का ख्याल रखने और उनकी बेहतर देखभाल करने की अपील की है

बुजुर्गों की सेवा को सौभाग्य समझें: रमन सिंह
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रायपुर। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सभी लोगों से बुजुर्गों का ख्याल रखने और उनकी बेहतर देखभाल करने की अपील की है। उन्होंने ऐसा नहीं करने वालों को सचेत करते हुए। याद दिलाया है कि बुजुर्ग अपनी उपेक्षा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ थाने में शिकायत कर सकते हैं और अदालत भी जा सकते हैं।

उन्होंने कहा- समाज के हर व्यक्ति के भीतर इतनी संवेदनशीलता होनी चाहिए कि वह अपने माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी आदि के प्रति प्यार और आत्मीयता की भावना रखे। बुजुर्गों के अधिकारों के संरक्षण के लिए कानूनी प्रावधानों और प्रशासनिक उपायों का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा - लेकिन मैं इन सबके ऊपर इस बार फिर कहना चाहता हॅूं कि अपने बुजुर्गों की सेवा को अपना सौभाग्य समझना चाहिए और कानूनी उपाय अथवा वृद्धाश्रम जाने की नौबत भी नहीं आनी चाहिए।

डॉ. रमन सिंह ने आज सवेरे आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र से प्रसारित अपनी मासिक रेडियो वार्ता 'रमन के गोठÓ की 27वीं कड़ी में जनता को संबोधित करते हुए कहा - छत्तीसगढ़ सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों की सहायता के लिए पुलिस मुख्यालय रायपुर में टोल फ्री नम्बर 1800-180-1253 और हेल्प लाइन 0771-2511253 के साथ सीनियर सिटीजन सेल की भी स्थापना की है। इसका संचालन छत्तीसगढ़ पुलिस और समाजसेवी संस्था 'हेल्पेज इंडिया' द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा - हमारी अच्छी शिक्षा-दीक्षा, अच्छी नौकरी या यह हमारे अच्छे काम-धंधे के पीछे हमारे बुजुर्गों की तपस्या और दुआएं होती है। वे जब कमजोर होते हैं, तब उन्हें छोड़े नहीं बल्कि उनका सहारा बने।

यह बात सिर्फ सहानुभूति की नहीं है। मानवता तो यही है कि बुजुर्गों के प्रति आप अपना कर्तव्य निभाएं, लेकिन यदि नहीं निभाते हैं, तो यह जान लीजिए कि वरिष्ठ नागरिकों की देखरेख और उनके भरण पोषण के लिए कई कानूनी प्रावधान भी किए गए हैं। आई.पी.सी. की धारा 125 के अनुसार माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उनके बच्चों की होती है। बुजुर्ग अपनी उपेक्षा करने वाले व्यक्ति के विरूद्ध थाने में शिकायत कर सकते हैं और अदालत भी जा सकते हैं। राज्य के सभी थानों में परिवार परामर्श और सीनियर सिटीजन हेल्प डेस्क की स्थापना की जाएगी।

डॉ. रमन सिंह ने कहा - आज कल देखने में आता है कि बहुत से लोग अपने माता-पिता की जिम्मेदारी संभालने से कतराते हैं। इसके फलस्वरूप बुजुर्गों का जीवन कठिन हो जाता है और वे दूसरों पर आश्रित होते हैं या वृद्धाश्रम की शरण में जाने को मजबूर होते हैं। डॉ. सिंह ने कहा - कुछ प्रकरणों में तो किसी दुर्घटना या अन्य कारणों से बुजुर्ग लोग अकेले रह जाते हैं। बहुत से ऐसे प्रकरण भी सामने आते हैं, जब बेटे-बेटी, बहू, नाती-पोते ही अपने ययशेष पृष्ठï 5 पर य बुजुर्गों की परवाह नहीं करते। मुख्यमंत्री ने कहा - सबसे पहले तो मैं यही कहना चाहूंगा कि समाज में हर व्यक्ति के भीतर इतनी संवेदनशीलता होनी चाहिए कि वह अपने माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी आदि के प्रति प्यार और आत्मीयता की भावना रखे। बचपन में अपने परिवार के सदस्यों के प्यार, प्रोत्साहन, देख-रेख और प्रेरणा की वजह से ही किसी व्यक्ति का विकास हो पाता है।

डॉ. सिंह ने बुजुर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा - माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण -पोषण अधिनियम 2007 के तहत वरिष्ठ नागरिकों को यह अधिकार है कि वे अपने क्षेत्र के अनुविभागीय दंडाधिकारी के न्यायालय में आवेदन कर सकते हैं।

हिन्दू दत्तक एवं रख-रखाव अधिनियम 1956 की धारा 20(1) के अनुसार नि:शक्त, लाचार, अभिभावक की देख-रेख का दायित्व पुत्र और पुत्री का है, जो समाज के सभी समुदायों और वर्गों पर लागू होता है। अभी तीन अक्टूबर 2017 को रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय में सीनियर सिटीजन सेल की स्थापना की गई है।

आदिवासी अंचलों में एक बड़ी क्रांति की शुरूआत

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने तेन्दूपत्ता मजदूरों के प्रतिभावान बच्चों का उत्साह बढ़ाते हुए उनकी जमकर तारीफ की है। उन्होंने कहा है कि आदिवासी अंचलों में एक बड़ी क्रांति की शुरूआत हो चुकी है, जिसके सूत्रधार ये होनहार बच्चे हैं।

मुख्यमंत्री ने आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र से आज सवेरे प्रसारित अपनी मासिक वार्ता 'रमन के गोठÓ में कहा - डॉक्टरी और इंजीनियरिंग सहित कृषि और नर्सिंग की उच्च शिक्षा के लिए चयनित ये बच्चे आगे चलकर अपने परिवार, समाज और गांव का जीवन बदल देंगे। सरकार के कदमों से आज तेन्दूपत्ता मजदूरों के परिवारों में शिक्षा, सेहत और विकास के प्रति चेतना जागी है। प्रयास आवासीय विद्यालयों में तेन्दूपत्ता मजदूरों के बच्चे भी रहते हैं, पढ़ते हैं, कोचिंग पाते हैं और कई बच्चे मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी पहुंच रहे हैं।


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