प्रतिबंध के बाद भी वनोत्पाद का रेलवे में परिवहन
कच्चे बांस से बने वनोत्पाद वस्तुओं की रेल्वे डेमू ट्रेन में सप्लाई होने से यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है

दल्लीराजहरा। कच्चे बांस से बने वनोत्पाद वस्तुओं की रेल्वे डेमू ट्रेन में सप्लाई होने से यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। कोचिये इन वस्तुओं को मरौदा भिलाई इत्यादि स्थानों में ले जा कर बिल्डिंग का कन्ट्रक्शन करने वाने ठेकेदारों के पास उचित दर पर खपाते है।
लेकिन स्टेशन में तनाव आरपीएफ के जवानों द्वारा रोक टोक करते नही दिखाई देती. प्रात: व शाम के समय छुटने वाली सवारी टे:न में कच्चे बांस से बने टोकनी, सूपा, झाड़ू, सहित अन्य वस्तुओं की सप्लाई कोचियों द्वारा बिना किसी झिझक के किया जा रहा है।
जबकि रेलवे के नियमों के अनुसार इन वस्तुओं का परिवहन प्रतिबंधित है। इस बात को लेकर कई बार यात्रियों व वनोत्पाद से बने सामान ले जाने वाले कोचियों के मध्य विवाद की स्थिति निर्मित हो जाती है। इस प्रकार टेन माल वाहक गाड़ी बनकर रह गई है।
यात्री सुविधा का अभाव।
करोड़ो रूपए का राजस्व प्रदान करने वाला दक्षिण पूर्व मध्य रेल्वे दल्लीराजहरा का रेल्वे स्टेशन यात्री सुविधा के नाम पर छला जा रहा है. प्लेटफार्म में लगे शेड की लंबाई कम होने के चलते यात्रियों को गर्मी में चिलचिलाती धूप एवं बारिश के दिनों में भाीगते हुए टेन में चढ़ना उतरना पड़ता है।
वहीं टे्रन के इंतजार में प्लेटफार्म में छोटे से शेड के नीचे लोगोंं को एक दूसरे से सटकर बैठना पड़ता है. राजहरा से भिलाई इस्पात संयंत्र को आयरन ओर परिवहन कर रेलवे को करोड़ों रुपए राजस्व देने के बावजूद रेल प्रशासन स्थानीय रेलवे स्टेशन में यात्रा सुविधा बढ़ाने के नाम पर सौतेला व्यवहार अपना रही है।
माडर्न स्टेशन की तर्ज पर यात्री सुविधा नही
रावघाट रेल लाईन परियोजना के अंतर्गत बस्तर के नुप्रतापपुर तक रेल सुविधा के विस्तार होने से दल्लीराजहरा का स्टेशन मरौदा सेक्शन का सबसे बड़ा रेल्वे स्टेशन में गिना जाता है. लेकिन इस हिसाब से स्टेशन में यात्रियों के लिए सुविधा उपलब्ध नही है. यात्रियों ने स्टेशन परिसर में एटीएम की सुविधा प्रदान करने की मांग जीएम बिलासपुर से की है।
साथ ही मार्डन स्टेशन की तर्ज पर स्थानीय स्टेशन परिसर में वाई-फाई इंटरनेट सुविधा देने की मांग यात्रियों ने की है।
एक ही टिकट काउंटर
स्टेशन में एक ही टिकट काउंटर होने के कारण लोगों को टिकट लेने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहीं महिलाओं के लिए अलग से टिकट काउंटर नहीं होने से महिला व पुरुष यात्रियों को आपस में झगड़ते देखा जा सकता है. जल्दीबाजी में कई यात्री बिना टिकट लिए ही ट्रेन पर सवार हो अपनी यात्रा पूरी कर लेते हैं। जिससे रेलवे विभाग को सालाना लाखों रुपयों की हानि होती है।


