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बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं के संचालन में पारदर्शिता जरूरी : योगी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं के संचालन में पारदर्शिता लाई जाए

बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं के संचालन में पारदर्शिता जरूरी : योगी
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं के संचालन में पारदर्शिता लाई जाए। मुख्यमंत्री योगी ने मंगलवार को शास्त्री भवन में बाढ़ सुरक्षा परिषद की स्थाई संचालन समिति की बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने निर्देशित किया कि इस वर्ष जिन 22 जनपदों के 55 स्थानों पर नदियों के तेज बहाव के कारण कटान से स्थानीय जनता प्रभावित हुई थी, उन जगहों पर कार्यो को शीघ्र पूरा कराया जाए।

पहले से संचालित 220 परियोजनाओं के संबंध में जानकारी प्राप्त करते हुए उन्होंने कहा कि इनमें से कई परियोजनाएं विगत चार-पांच वर्ष से स्वीकृत हैं, लेकिन उनके कार्य अभी पूरे नहीं हुए हैं। इसलिए उन परियोजनाओं की पुन: समीक्षा की जाए, जो स्वीकृत तो हो गई हैं, परंतु उनका कार्य शुरू नहीं हो सका है।

योगी ने कहा कि जन-धन हानि को रोकने वाली परियोजनाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए उन्हें निर्धारित समय में पूरा कराया जाए, जिससे आगामी वर्ष में बाढ़ से होने वाली क्षति को कम किया जा सके।

उन्होंने आगाह किया कि इस मामले में किसी भी प्रकार की शिथिलता कतई सहन नहीं की जाएगी। उन्होंने नेपाल से आने वाली नदियों से होने वाली क्षति को रोकने के लिए प्रस्तावित परियोजनाओं को सीमावर्ती क्षेत्र विकास के तहत आच्छादित कराने का निर्देश देते हुए कहा कि इससे ऐसी परियोजनाओं को पूरा करने में केंद्र सरकार से आर्थिक मदद मिल सकेगी।

योगी ने कहा, "बाढ़ सुरक्षा से संबंधित परियोजनाओं को तैयार करने से पूर्व अभियंताओं को मौके पर जाकर वस्तुस्थिति का आकलन करना चाहिए। प्राय: ऐसा देखने में आता है कि विभिन्न परियोजनाएं कतिपय दबाव या निजी स्वार्थवश प्रस्तावित कर दी जाती हैं, जिनका फायदा जनता को नहीं मिल पाता।"

इस पर तत्काल अंकुश लगाने का निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि एक बार डीपीआर स्वीकृत हो जाने के बाद हर हाल में उस परियोजना को समय से पूरा कराया जाए, जिससे निर्धारित समय में जनता को उसका लाभ मिल सके।

मुख्यमंत्री ने करीब 430 करोड़ रुपये की उन परियोजनाओं को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए, जिनसे नदी के प्रवाह से होने वाले कटान को रोकने में मदद मिलेगी। इससे संबंधित क्षेत्रों को बाढ़ से बचाने में सहायता मिलेगी।


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