मनसे का 'नया झंडा, चिन्ह, नई विचारधारा' के साथ कायापलट
राजनीति में 13 सालों के अतीत के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने गुरुवार को यहां नए झंडे, चिन्ह और नई विचारधारा के साथ नई शुरुआत की

मुंबई। राजनीति में 13 सालों के अतीत के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने गुरुवार को यहां नए झंडे, चिन्ह और नई विचारधारा के साथ नई शुरुआत की। मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने पार्टी के नए झंडे का अनावरण किया, जो गहरे भगवा रंग का है। इसके साथ छत्रपति शिवाजी महाराज के शासन की मुद्रा (रॉयल सील) को चिन्ह के तौर पर जारी किया गया। पार्टी का भव्य सम्मेलन गोरेगांव में एनएसई ग्राउंड में अयोजित किया गया।
पार्टी ने विनायक दामोदर उर्फ वीर सावरकर के चित्र के साथ अपने दादा प्रबोधनकर ठाकरे, सावित्रीबाई फुले व डॉ.बी.आर. अंबेडकर की तस्वीरों के साथ दक्षिणपंथी रुख का संकेत दिया। पार्टी ने राज ठाकरे के चाचा और शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बालासाहेब ठाकरे की 94वीं जयंती भी धूमधाम से मनाई।
नया झंडा पेश किए जाने के साथ हालांकि विरोध भी शुरू हो गया। संभाजी ब्रिगेड, मराठा क्रांति मोर्चा व अन्य ने राज ठाकरे से राजनीतिक उद्देश्यों के लिए शिवाजी के 'रॉयल सील' का उपयोग न करने और संयम बरतने का आह्वान किया।
संभाजी ब्रिगेड ने पुणे पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जबकि मराठा क्रांति मोर्चा ने मनसे को कोर्ट में खींचने की धमकी दी।
इस मौके पर राज ठाकरे ने अपने बेटे अमित ठाकरे को औपचारिक रूप से पार्टी में शामिल किया और अपनी अगली पीढ़ी के लिए राजनीति में रास्ता बनाया।
मनसे के एक वरिष्ठ नेता ने राज ठाकरे के नया 'हिंदू हृदय सम्राट' होने का दावा किया। इस पर भी विवाद छिड़ गया। शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बालासाहेब ठाकरे को आमतौर पर 'हिंदू हृदयसम्राट' के रूप में जाना जाता था।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन बनाया है, जिसके प्रमुख उद्धव ठाकरे हैं। उद्धव राज ठाकरे के चचेरे भाई हैं।
शिवसेना के वरिष्ठ नेता अनिल परब ने कहा कि केवल दिवंगत बाला साहेब ठाकरे ही 'हिंदू हृदय सम्राट' हैं और उनकी जगह लेने का कोई और दावा नहीं कर सकता।
मनसे अब विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के साथ तालमेल बिठा रही है और भाजपा से शिवसेना के अलग होने के बाद 'हिंदुत्व' की रिक्तता को भरने का प्रयास कर रही है। राज ठाकरे ने लोकसभा चुनाव के समय हालांकि 'मोदी-शाह' के खिलाफ जनसभाएं की थीं और अपने भाषणों का वीडियो जारी किया था।


