चार माह की बंदी के बाद फिर से खुला गुजरात गिर वन का पर्यटक क्षेत्र
दुनिया में एशियाई शेरों की एकमात्र निवासस्थली गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र स्थित 1412 वर्ग किलोमीटर में फैले गिर राष्ट्रीय पार्क सह अभयारण्य (गिर वन) के 110 वर्ग किमी में बनाया गया

सासन गिर। दुनिया में एशियाई शेरों की एकमात्र निवासस्थली गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र स्थित 1412 वर्ग किलोमीटर में फैले गिर राष्ट्रीय पार्क सह अभयारण्य (गिर वन) के 110 वर्ग किमी में बनाया गया पर्यटक क्षेत्र मानसून अवधि की सालाना चार माह की बंदी के बाज आज से पर्यटकों के लिए खुल गया है।
इसके साथ ही यहां से खुली जीप में चुनींदा जंगली रास्तों के जरिये होने वाले सिंह दर्शन कार्यक्रम पर भी शुरू हो गया है। इसके लिए पूर्व में बनाये गये 8 मार्गो की जगह अब 12 मार्गों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि निकटवर्ती देवलिया में वन विभाग के व्याख्या क्षेत्र (इंटरप्रेटेशन जोन) में मिनी बस के जरिये होने वाला तयशुदा क्षेत्र में जंगल भ्रमण का कार्यक्रम के लिए भी अब यहां की तरह जिप्सियों का इस्तेमाल हो रहा है।
वन्यजीव संरक्षण कानून 1972 के प्रावधान के तहत मानसून, जो कि अधिकतर वन्यजीवों के लिए प्रजनन काल होता है, के दौरान चार माह यानी 16 जून से 15 अक्टूबर तक पर्यटन क्षेत्र को बंद रखा जाता है।
गिर सोमनाथ, जूनागढ और अमरेली जिलों में 1412 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैले गिर वन के संरक्षित क्षेत्र के अलावा लगभग 470 वर्ग किमी के बफर जोन समेत गिर वन का कुल इलाका 1882 वर्ग किमी का माना जाता है। इस पर्यटन क्षेत्र का विस्तार केवल गिर सोमनाथ आैर समीपवर्ती जूनागढ़ जिले तक है और इसमें लोकप्रिय सिंह दर्शन कार्यक्रम (खुली जीप में घने जंगलों में जाकर शेरों को देखने का कार्यक्रम) होता है।
मानसून का मौसम शेरों और अन्य वन्यजीवों के लिए प्रजनन काल होने के कारण हर वर्ष ऐसा किया जाता है। इस दौरान सिंह दर्शन के लिए इस्तेमाल होने वाली कच्ची सड़के भी कीचड़युक्त हो जाती हैं जिन पर वाहनों का चलना दुष्कर होता है।
सिंह दर्शन के लिए हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं जहां से उन्हें खुली जीप में जंगलों के अंदर ले जाया जाता है। द्वारका और सोमनाथ की यात्रा पर आये देशी विदेशी पर्यटक भी इस निकटवर्ती वन क्षेत्र में सिंह दर्शन का रोमांचक लुत्फ उठाते हैं। सिंह दर्शन के लिए साल दर साल पर्यटकों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इस साल से इसके लिए परमिट की संख्या भी लगभग दोगुनी कर दी गयी है।
बंदी के चार माह के दौरान वन क्षेत्र में जरूरी मरम्मत समेत कई अन्य कार्य भी किये जाते हैं। इस दौरान वनकर्मी भूले भटके नवजात शावकों का बचाव कार्य भी करते हैं और उन पर नजर रखते हैं। इस बार बंदी के दौरान अमरेली जिले में इस वन के दलखानिया रेंज में 23 शेरों की मौत ने दुनिया भर का ध्यान इन जंगलों की ओर खीचा था।
हर पांच साल पर होने वाली सिंह गणना के अंतिम संस्करण के दौरान मई 2015 में गिर वन में शेरों की कुल संख्या 523 आंकी गयी थी जो इससे पहले वर्ष 2010 की उनकी संख्या 411 से लगभग 27 प्रतिशत अधिक थी। इसके अनुसार सर्वाधिक 268 शेर जूनागढ, 44 गिर सोमनाथ, 174 अमरेली जिले में जबकि 37 सीमावर्ती भावनगर जिले में थी। कुल शेरों में 109 नर, 201 मादा तथा 213 शावक थे।


