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वसंत को ये क्या क्या होने लगा?
- विजय किशोर मानव मन गाने को है, उम्र का कोई फर्क नहीं, सबके भीतर कुछ बज-सा उठता है. हवा में राग-रंग जैसे घुल से गये हों. आधुनिक शब्द-बिम्बों से लबरेज...

- विजय किशोर मानव मन गाने को है, उम्र का कोई फर्क नहीं, सबके भीतर कुछ बज-सा उठता है. हवा में राग-रंग जैसे घुल से गये हों. आधुनिक शब्द-बिम्बों से लबरेज...